Karwa Chauth 2025: प्रेग्नेंट महिला करवा चौथ रख सकती हैं या नहीं, क्या कहता है शास्त्र, उपवास से पहले जान लीजिए

Karwa Chauth 2025: प्रेग्नेंट महिला करवा चौथ रख सकती हैं या नहीं, क्या कहता है शास्त्र, उपवास से पहले जान लीजिए

Karwa Chauth for pregnant women: करवा चौथ का त्योहार हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं. सोलह श्रृंगार करके शाम को चांद देखकर जल ग्रहण करती हैं और अपने व्रत का समापन करती हैं. लेकिन जब कोई महिला गर्भवती होती है यानी प्रेग्नेंट होती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या वह इस स्थिति में करवा चौथ का व्रत रख सकती है या नहीं. क्या उपवास के दौरान बिना पानी और खाना खाए रहना सही है या यह मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. आजकल यह सवाल हर घर में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर नई मम्मीज और मॉडर्न कपल्स के बीच. सोशल मीडिया पर भी इस बात पर खूब चर्चा होती है कि क्या गर्भवती महिलाएं करवा चौथ व्रत कर सकती हैं या नहीं. आइए जानते हैं शास्त्र और ज्योतिष दोनों की नजर में इस सवाल का सही उत्तर क्या है. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर.
शास्त्रों के अनुसार क्या कहता है करवा चौथ व्रत
हिंदू धर्म में करवा चौथ को बहुत पवित्र व्रत माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत सच्चे मन और प्रेम से किया जाए तो हमेशा शुभ फल देता है. धर्मग्रंथों में कहीं भी यह नहीं लिखा गया कि गर्भवती महिला यह व्रत नहीं रख सकती. बल्कि शास्त्रों में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपनी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिए. अगर महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ है और उसका मन इसे करने का है, तो वह अपने तरीके से यह व्रत निभा सकती है.

ज्योतिष के अनुसार भी करवा चौथ का दिन महिला की श्रद्धा और भावना का प्रतीक होता है. ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम और समझ को बढ़ाती है. ऐसे में अगर गर्भवती महिला यह व्रत रखती है तो उसे अत्यधिक परिश्रम या भूखे रहने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे अपने शरीर की क्षमता के अनुसार उपवास रखना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन अगर महिला मन से प्रार्थना करे, तो भगवान चंद्र देव उसकी भावनाओं को अवश्य स्वीकार करते हैं.

गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत का तरीका

  • अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है और करवा चौथ का व्रत रखना चाहती है, तो उसे अपने शरीर और बच्चे दोनों का ध्यान रखना चाहिए.
  • सुबह सूर्योदय से पहले हल्का और पौष्टिक खाना खाएं जैसे दलिया, सूखे मेवे, दूध और फल.
  • अगर शरीर थका महसूस करे या चक्कर आए तो तुरंत आराम करें.
  • पूरे दिन पानी की कमी न होने दें. डॉक्टर की अनुमति हो तो नारियल पानी या जूस लिया जा सकता है.
  • पूजा के समय अधिक देर तक बैठने या झुकने से बचें.
  • दिन भर आराम करें और कोई भारी काम न करें.

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो गर्भवती महिला अगर व्रत को मन से निभाती है, तो उसका शुभ प्रभाव केवल पति ही नहीं बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. चंद्रमा को शीतलता और मातृत्व का कारक माना गया है, इसलिए इस दिन अगर गर्भवती महिला चंद्र देव की आराधना करती है, तो यह बच्चे के मानसिक विकास और शांति के लिए भी लाभकारी होता है.

परिवार और पति का सहयोग जरूरी
गर्भवती महिला के लिए करवा चौथ का व्रत सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है. अगर महिला व्रत रख रही है, तो पति और परिवार का सहयोग बहुत जरूरी है. इस दिन एक-दूसरे के लिए प्यार और देखभाल दिखाना ही सबसे बड़ा आशीर्वाद है. अगर महिला को कमजोरी महसूस हो, तो पति को समझदारी दिखाते हुए उसे आराम करने या व्रत हल्का करने की सलाह देनी चाहिए.

शास्त्र और विज्ञान दोनों का संतुलन जरूरी
शास्त्र हमें श्रद्धा सिखाते हैं और विज्ञान हमें समझदारी. ज्योतिष के अनुसार करवा चौथ का व्रत तभी फलदायी होता है जब यह प्रेम, निष्ठा और भावनाओं से किया जाए, न कि शरीर को कष्ट देकर. भगवान भाव देखते हैं, भूख नहीं. इसलिए गर्भवती महिला अगर व्रत करना चाहती है, तो वह सिर्फ फलों या लिक्विड डाइट के साथ इसे निभा सकती है.

डॉक्टरों की राय भी यही कहती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर को हाइड्रेशन और एनर्जी की जरूरत होती है. लंबे समय तक भूखे रहना या पानी न पीना डिहाइड्रेशन, ब्लड प्रेशर गिरने और कमजोरी का कारण बन सकता है. इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि गर्भवती महिलाएं अगर व्रत रखें तो उसे हल्के तरीके से निभाएं और खुद की सेहत को प्राथमिकता दें. आखिर बच्चे का स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूजा है.

अगर आप प्रेग्नेंट हैं और करवा चौथ का व्रत रखना चाहती हैं, तो ज्योतिष के अनुसार आपकी भावना ही सबसे बड़ी शक्ति है. बिना खुद को थकाए या नुकसान पहुंचाए अगर आप मन से यह व्रत करें, तो भगवान चंद्र देव आपकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं. याद रखें, मातृत्व खुद में सबसे बड़ा तप है और एक मां की दुआ सबसे ज्यादा असरदार होती है.

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