Indira Ekadashi 2025: पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी का व्रत क्यों है खास, जानें पूजा का समय और सही विधि
इंदिरा एकादशी का महत्व
इंदिरा एकादशी व्रत केवल भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए नहीं, बल्कि पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए भी किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि पूर्वजों को भी शांति मिलती है. इस दिन किया गया दान, जप और पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. धर्मग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार इंदिरा एकादशी पर व्रत करने वाला व्यक्ति अपने कुल के पितरों को नरक से मुक्ति दिला सकता है.
पूजा करने का तरीका
-सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
-घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें.
-गंगा जल या साफ पानी से भगवान को स्नान कराएं.
-चंदन, फूल, धूप, दीप और अक्षत से भगवान की पूजा करें.
-तुलसी के पत्ते भगवान को अर्पित करें, क्योंकि विष्णु पूजा में तुलसी का विशेष स्थान होता है.
-विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें.
-पूजा के बाद आरती करें और सात्विक भोग लगाएं.
-जो लोग व्रत रखते हैं, वे अगले दिन निर्धारित समय में फलाहार कर व्रत खोलें.
-भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
-तुलसी के पत्ते
-फूल, धूप, दीप, घी
-अक्षत (चावल), पंचामृत
-फल, नारियल, सुपारी, मिष्ठान
-शुद्ध जल या गंगा जल
इस दिन क्या करें
-शाम को पीपल के नीचे या किसी नदी के किनारे दीपक जलाएं. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
-जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा दें. विशेष रूप से तिल, गुड़, फल और अनाज का दान करना शुभ माना जाता है.
-एकादशी के दिन केवल सात्विक भोजन करें और क्रोध, वाणी पर नियंत्रण रखें.