Sawan Purnima 2025: सावन पूर्णिमा आज, जानें स्नान दान का मुहूर्त व महत्व और पूजन विधि
सावन पूर्णिमा का महत्व
मान्यता है कि सावन पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों, सरोवरों या तीर्थस्थलों में पितरों के नाम का स्नान करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है. साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृदोष भी दूर होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का होता है. गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा या किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान करने से पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं. ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर पूजा करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. सावन पूर्णिमा शनिवार के दिन है इसलिए आज के दिन शनिदेव की पूजा करने का भी विधान है.
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 8 अगस्त, दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन – 9 अगस्त, दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक
उदिया तिथि को मानते हुए सावन पूर्णिमा का पर्व 9 अगस्त दिन शनिवार को मनाया जाएगा.
सावन पूर्णिमा स्नान व दान का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:23 ए एम से 05:06 ए एम
द्विपुष्कर योग: 12:09 पी एम से 01:52 पी एम
सावन पूर्णिमा पर दान का महत्व
सावन पूर्णिमा पर पितरों के नाम का दान दूसरा सबसे बड़ा पुण्य कर्म माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन अन्न, वस्त्र, फल, दूध, घी और सोना दान करने से कई गुना फल मिलता है. जरूरतमंदों को दान करने से भगवान की कृपा के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि आती है और पितरों की कृपा मिलती है. यह दान केवल भौतिक वस्तुओं का ही नहीं, बल्कि समय, सेवा और प्रेम का भी हो सकता है.पुराणों में उल्लेख है कि सावन पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. यह दिन गुरु पूर्णिमा के समान गुरु, बड़े-बुजुर्गों और संतों का आशीर्वाद लेने के लिए भी श्रेष्ठ है.
सावन पूर्णिमा पूजा विधि
सावन मास के अंतिम दिन पवित्र नदियों में स्नान करें और पितरों के नाम का तर्पण करें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें.
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन लगाएं. लकड़ी के पाट पर स्वच्छ पीला या लाल वस्त्र बिछाएं. उस पर भगवान शिव, भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव की मूर्ति/चित्र स्थापित करें.
चंद्रमा का विशेष पूजन करने के लिए एक रजत कलश में जल भरकर उसमें दूब, चावल, सफेद पुष्प रखें.
इसके बाद दीपक जलाएं. दाहिने हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें कि आप सावन पूर्णिमा व्रत/पूजन कर रहे हैं, अपने परिवार की मंगलकामना के लिए.
अब गणेश पूजन करें, ओम गं गणपतये नमः मंत्र से पूजन करें. अब शिव पूजन करें, शिवलिंग पर जल, गंगाजल, पंचामृत से अभिषेक करें. बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन अर्पित करें.
विष्णु/बालकृष्ण पूजन करें, तुलसी पत्र, पीले फूल और गंगाजल अर्पित करें.


