Ravan ka Dahan: क्या आप जानते हैं रावण का पुतला सबसे पहले कब जलाया गया? पढ़ें दशहरे से जुड़ी रोचक कहानी

Ravan ka Dahan: क्या आप जानते हैं रावण का पुतला सबसे पहले कब जलाया गया? पढ़ें दशहरे से जुड़ी रोचक कहानी

Last Updated:

Ravan ka Dahan: रावण दहन की परंपरा भारत में बहुत पुरानी नहीं है. इसकी शुरुआत 1948 में रांची में मानी जाती है, जहां पाकिस्तान से आए लोगों ने इसे पहली बार आयोजित किया. इसके बाद दिल्ली और नागपुर जैसे शहरों में भी यह परंपरा फैली. आज यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन चुका है.

क्या आप जानते हैं रावण का पुतला सबसे पहले कब जलाया गया? पढ़ें दशहरे की कहानीसबसे पहले कब हुआ था रावण का दहन?

Ravan ka Dahan: हर साल जब दशहरे का त्योहार आता है, तो पूरे देश में एक जैसी तस्वीरें दिखाई देती हैं-लोग बड़ी संख्या में मैदानों में जुटते हैं, मंच पर रामलीला का प्रदर्शन होता है और अंत में रावण का विशाल पुतला जलाया जाता है. यह परंपरा अब देशभर में आम हो चुकी है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण के पुतले को जलाने की शुरुआत आखिर कब और कहां से हुई? आज यह त्योहार सांस्कृतिक रंगों से भरा हुआ है, लेकिन इसकी जड़ें ज्यादा पुरानी नहीं हैं. रामायण की कथा तो हजारों साल पुरानी है, लेकिन रावण दहन की परंपरा को व्यापक रूप से मान्यता आज़ादी के बाद ही मिली.

सबसे पहला रावण दहन कहां हुआ था?
इस विषय पर कोई एक निश्चित जवाब नहीं है, लेकिन कई जानकारों का मानना है कि सबसे पहला रावण दहन वर्तमान झारखंड की राजधानी रांची में हुआ था, जो उस समय बिहार का हिस्सा था. यह घटना साल 1948 की मानी जाती है. बताया जाता है कि उस समय पाकिस्तान से आए शरणार्थी परिवारों ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. शुरुआत में यह आयोजन छोटा था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक बड़ा आयोजन बन गया.

दिल्ली में रावण दहन की शुरुआत
देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार रावण का पुतला 17 अक्टूबर 1953 को जलाया गया था. रामलीला मैदान में हुए इस कार्यक्रम में रावण का पुतला कागज या लकड़ी का नहीं, बल्कि कपड़ों से तैयार किया गया था. यह आयोजन भी शुरुआती वर्षों में सीमित स्तर पर होता था, लेकिन आज यह दिल्ली के सबसे बड़े आयोजनों में गिना जाता है.

नागपुर में रावण दहन की अनोखी कहानी
नागपुर शहर में जब पहली बार रावण का पुतला तैयार किया गया, तब उसकी ऊंचाई 35 फीट रखी गई थी. उस समय क्रेन या आधुनिक साधन नहीं थे, इसलिए पुतले को खड़ा करने के लिए बड़ी सी सीढ़ी का इस्तेमाल किया गया और करीब 50 लोग उस पर चढ़े. वहीं 100 से अधिक लोग नीचे से रस्सियों की मदद से पुतले को संभाल रहे थे. इस आयोजन को सफल बनाने में कई लोगों की मेहनत लगी.

Generated image

दशहरे पर रावण का दहन क्यों किया जाता है?
दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण का अंत किया था. इसीलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. रावण का पुतला दहन कर लोग यह संदेश देते हैं कि चाहे अहंकार, अन्याय या अत्याचार कितना भी बड़ा क्यों न हो, अंत में जीत सच्चाई और अच्छाई की ही होती है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

authorimg

Mohit Mohit

मीडिया इंडस्ट्री में 8+ साल का अनुभव, ABP, NDTV, दैनिक जागरण और इंडिया न्यूज़ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़कर काम किया। लाइफस्टाइल, धर्म और संस्कृति की कहानियों को रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत करने का खास हुनर।…और पढ़ें

मीडिया इंडस्ट्री में 8+ साल का अनुभव, ABP, NDTV, दैनिक जागरण और इंडिया न्यूज़ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़कर काम किया। लाइफस्टाइल, धर्म और संस्कृति की कहानियों को रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत करने का खास हुनर।… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

क्या आप जानते हैं रावण का पुतला सबसे पहले कब जलाया गया? पढ़ें दशहरे की कहानी

Source link

Previous post

Ind vs Pak Asia Cup 2025: फाइनल में 2 भारतीय उधेड़ेंगे पाक गेंदबाजों की बखिया, इस बॉलर की फिरकी में फंसेंगे विरोधी! ज्योतिषाचार्य की भविष्यवाणी

Next post

Weekly Horoscope 29 September to 5 October 2025: वृषभ, तुला समेत 6 राशियों को इस सप्ताह माता रानी की कृपा से बढ़ेगी संपत्ति और शारीरिक सुख, बुध गोचर से होगा लाभ

You May Have Missed