Raksha Bandhan Mantra: भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का करें उच्चारण, तभी होगी विधि पूरी
रक्षाबंधन का भावनात्मक महत्व
रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को आता है, जो स्वयं में अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है. इसी दिन ऋषि ऋष्यश्रृंग, युधिष्ठिर, इन्द्र आदि को भी रक्षा-सूत्र बांधा गया था. राखी सिर्फ एक धागा नहीं है, यह एक वचन है, भाई द्वारा अपनी बहन की हर हाल में रक्षा करने का और बहन द्वारा उस विश्वास को मन से स्वीकार करने का. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देकर वचन देते हैं कि वह जीवन भर उनकी रक्षा करेंगे. बहन द्वारा बांधी गई राखी में शुभ संकल्प और शुभाशीर्वाद निहित होता है, जो भाई के जीवन को संकटों से बचाता है.
राखी बांधते समय क्यों बोला जाता है मंत्र?
भारतीय संस्कृति में हर शुभ कार्य की शुरुआत मंत्रोच्चारण से होती है. मंत्र न केवल वातावरण को पवित्र करते हैं बल्कि उस क्रिया को आध्यात्मिक रूप से और मजबूत बनाते हैं. राखी बांधते समय बोले जाने वाला मंत्र, रक्षा के संकल्प को ब्रह्मांडीय शक्ति से जोड़ता है. यह मंत्र बहन के द्वारा बोले जाने पर एक आध्यात्मिक वचन बन जाता है, जो केवल भाई की कलाई पर बंधे धागे को नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ता है.
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
अर्थ: जिस रक्षा-सूत्र से महान पराक्रमी दानवेन्द्र बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं. यह रक्षा-सूत्र तुम्हारी रक्षा करे और तुम कभी विचलित न हो. तुम अडिग रहो, अपनी रक्षा का संकल्प निभाओ.

– राखी बांधते समय बहन को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए और भाई को पश्चिम की ओर.
– भाई को तिलक कर, मिठाई खिलाकर फिर रक्षा-सूत्र बांधें.
– मंत्र का उच्चारण करते समय रक्षा-सूत्र को दाहिने हाथ की कलाई में बांधें.
भाई-बहन के रिश्ते में संस्कारों की अहम भूमिका
रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय परिवार व्यवस्था का अद्भुत प्रतीक है. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रिश्ते केवल खून के नहीं, बल्कि भावनाओं, जिम्मेदारियों और आदर के धागों से भी बंधे होते हैं. जब बहन राखी बांधते समय यह मंत्र बोलती है, तो वह उस डोर को सिर्फ बांधती नहीं, बल्कि संस्कारों से सींचती है. रक्षा सूत्र का महत्व युगों से रहा है, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को कैद से मुक्त करवाया था.


