Pitru Paksha Special 2025: दक्षिण भारत का काशी है रामेश्वरम, जहां पितरों को मिलता है मोक्ष, ब्रह्म हत्या से मुक्ति के लिए श्रीराम ने की थी पूजा
रामेश्वरम में पितृ दोष होता है शांत
रामेश्वरम हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक तीर्थस्थान है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. इसे चार धामों में से एक माना जाता है. यहां स्थित रामनाथस्वामी मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर किए गए श्राद्ध, तर्पण और पितृ दोष शांति महापूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. साथ ही, श्रद्धालु को जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और पारिवारिक सामंजस्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितरों की शांति और ब्रह्म हत्या से मुक्ति के लिए पूजा
पूर्वजों की आत्मा होती है तृप्त
पितृ पक्ष के दौरान यहां तिल तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है. शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि तिल, जल और कुशा के साथ किया गया तर्पण पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करता है. यह अनुष्ठान कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक है, जो पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करता है.
शिवलिंग को कहते हैं ‘रामनाथ’
24 पवित्र तीर्थकुंड में करते हैं स्नान
रामेश्वरम में 24 पवित्र तीर्थकुंड हैं, जिन्हें भगवान राम ने अपने बाणों से बनाया था. इन कुंडों के जल को बेहद पवित्र माना जाता है और श्रद्धालु श्राद्ध कर्म से पहले यहां स्नान करके स्वयं को शुद्ध करते हैं.
धार्मिक दृष्टि से रामेश्वरम को दक्षिण भारत का काशी कहा जाता है. यहां श्राद्ध कर्म करना जीवन की नकारात्मकताओं को दूर करने और पितरों का आशीर्वाद पाने का श्रेष्ठ साधन माना गया है. भक्तगण यहां आकर न केवल अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, बल्कि भगवान शिव और भगवान राम की पूजा कर मोक्ष की कामना भी करते हैं.