Kajari Teej 2025: पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के साथ जानें व्रत की तिथि, पूजा विधि और पारण का समय
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Kajari Teej 2025 : इस साल कजरी तीज का ये पर्व 12 अगस्त को मनाई जा रही है. इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. जिसका पारण अगले दिन किया जाता है. किस समय व्रत का पारण करना शुभ होगा आइए जानते हैं.
कजरी तीज व्रत पारणKajari Teej 2025 : भारत में हर त्योहार का अपना एक विशेष महत्व होता है, और कजरी तीज उनमें से एक पावन पर्व है. यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष होता है, क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद जीवन के लिए उपवास रखती हैं. साथ ही अविवाहित कन्याएं भी योग्य वर की कामना के साथ यह व्रत करती हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
कजरी तीज की तिथि और समय
साल 2025 में कजरी तीज 12 अगस्त, मंगलवार को मनाई जाएगी. यह पर्व भादो महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को आता है. पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 11 अगस्त की सुबह 10:33 बजे आरंभ होगी और 12 अगस्त की सुबह 08:40 बजे तक रहेगी. हिंदू परंपरा के अनुसार, व्रत उदया तिथि यानी सूर्योदय के समय जो तिथि हो, उसी दिन रखा जाता है. इसलिए इस बार व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा.
पूजा की विधि
इस दिन महिलाएं प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं. दिन भर निर्जला उपवास रखा जाता है और पारंपरिक गीतों के साथ झूला झूलने की भी परंपरा है. दोपहर के समय देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. मिट्टी से बनी मूर्तियों या चित्रों की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजा की जाती है. इसके बाद महिलाएं लोकगीत गाती हैं, कथा सुनती हैं और रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत खोलती हैं.
इस दिन महिलाएं प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं. दिन भर निर्जला उपवास रखा जाता है और पारंपरिक गीतों के साथ झूला झूलने की भी परंपरा है. दोपहर के समय देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. मिट्टी से बनी मूर्तियों या चित्रों की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजा की जाती है. इसके बाद महिलाएं लोकगीत गाती हैं, कथा सुनती हैं और रात को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत खोलती हैं.
कजरी तीज का महत्व
यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों को भी मजबूत बनाता है. कजरी तीज का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और समर्पण की भावना को और प्रगाढ़ करता है. यही कारण है कि इस दिन महिलाएं पूरे मन और श्रद्धा से व्रत करती हैं.


