Jitiya Vrat 2025 Today: आज शाम इस तरह करें जितिया व्रत की पूजा, जानें सोमवार सुबह व्रत का पारण का समय, महत्व और कथा
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Jitiya Vrat 2025 Today: जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत) विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने संतानों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है. यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है. इसमें निर्जला उपवास रखा जाता है, माताएं बिना जल और अन्न के पूरे दिन अपने पुत्रों के कल्याण की कामना करती हैं. आइए जानते हैं व्रत के पारण का समय और शाम की पूजा विधि…

रात्रिकालीन पूजा का विशेष महत्व
हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत किया जाता है. इस बार यह व्रत रविवार सुबह 7 बजकर 23 मिनट शुरू होकर सोमवार तड़के 3 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. खास बात यह है कि इस बार जितिया व्रत का संयोग रोहिणी नक्षत्र, सिद्धि योग और रवि योग के साथ बना है, जो इसे और अधिक फलदायी बनाता है. चंद्रमा वृषभ राशि में दिनभर स्थित रहेंगे और चंद्रोदय रात्रि 11:18 बजे होगा, जिससे रात्रिकालीन पूजा का विशेष महत्व बढ़ जाता है.

जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत) विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने संतानों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है. यह व्रत केवल माताएं करती हैं ताकि उनके पुत्र दीर्घायु हों और जीवन में किसी प्रकार का संकट न आए. इसमें निर्जला उपवास रखा जाता है, माताएं बिना जल और अन्न के पूरे दिन अपने पुत्रों के कल्याण की कामना करती हैं. इस दिन जिउतिया माता (निर्मला देवी) और जमुनावतार राजा जीमूतवाहन की पूजा की जाती है, जिन्होंने अपनी निःस्वार्थ भक्ति और बलिदान से सर्प से प्राण बचाए थे. व्रत की कथा सुनना और उसका पालन करना व्रती के लिए अनिवार्य माना गया है.
आज शाम प्रदोष काल में व्रती पारंपरिक तरीके से राजा जीमूत वाहन की पूजा अर्चना करती हैं और संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. आज शाम पूजा होने के बाद सोमवार के दिन व्रत का पारण किया जाएगा. सोमवार को सुबह 6 बजकर 30 मिनच पर ही व्रतियों का पारण करना उत्तम माना गया है. इस दिन जिउतिया माता (निर्मला देवी) और जमुनावतार राजा जीमूतवाहन की पूजा की जाती है, जिन्होंने अपनी निःस्वार्थ भक्ति और बलिदान से सर्प से प्राण बचाए थे.
शाम को इस तरह होगी पूजा
व्रत में महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए रहती हैं और शाम को मिट्टी या गोबर से बनाए गए जीमूतवाहन देवता और जितिया माता की पूजा करती हैं. जीमूतवाहन वही पौराणिक पात्र हैं, जिन्होंने एक नाग बालक की रक्षा के लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं की थी. पूजा के साथ जितिया व्रत कथा का पाठ किया जाता है, जो इस व्रत में अनिवार्य होता है. सोमवार को नवमी तिथि में व्रत का पारण किया जाएगा. इस व्रत में पारंपरिक रूप से नोनी साग, मडुआ रोटी और पंचसब्जी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं. व्रती महिलाएं पूजा और कथा के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं.
जितिया व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जंगल में रहने वाली चील और सियारिन ने यह व्रत रखने का संकल्प लिया. चील ने पूरे नियमों से व्रत निभाया, लेकिन सियारिन भूख से तंग आकर रात को मांस खा बैठी. अगले जन्म में चील एक मंत्री की बेटी बनी और सियारिन राजकुमारी, परंतु चील के बच्चे स्वस्थ और दीर्घायु हुए, जबकि सियारिन की संतानें जन्म लेते ही मर जाती थीं. जब सियारिन को अपने पूर्वजन्म की गलती का अहसास हुआ, तो उसने फिर से पूरी निष्ठा से जितिया व्रत किया और उसे भी स्वस्थ संतान का सुख मिला.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें