Gopashtami 2025: रवि योग में गोपाष्टमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दान और गो सेवा से मिलेगी श्रीकृष्ण कृपा
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Gopashtami 2025: आज रवि योग में गोपाष्टमी है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गो माता की एक साथ पूजा की जाती है. गोपाष्टमी का उल्लेख पद्म और भागवत पुराण में मिलता है. आइए जानते हैं गोपाष्टमी के मुहूर्त, पूजा विधि, भोग, मंत्र आदि के बारे में.
Gopashtami 2025: आज 30 अक्टूबर गुरुवार को गोपाष्टमी है. गोपाष्टमी के दिन रवि योग बना है. आज गोपाष्टमी पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और शूल योग का संयोग है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गो माता की एक साथ पूजा की जाती है. उनकी कृपा से कष्ट मिटते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. दृक पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त 11:42 ए एम से 12:27 पी एम तक है और राहुकाल का समय दोपहर 01:28 पी एम से 02:51 पी एम तक रहेगा.
गोपाष्टमी मुहूर्त और योग
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:48 ए एम से 05:40 ए एम तक
- गोधूलि मुहूर्त: 05:37 पी एम से 06:03 पी एम तक
- रवि योग: 06:33 पी एम से 31 अक्टूबर 06:32 ए एम तक
गोपाष्टमी पूजा विधि
- इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए जातक सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजन का संकल्प लें.
- इसके बाद पूजा स्थल को गाय के गोबर, फूलों, दीपक और रंगोली से सजाएं.
- भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें. उन्हें गोमाता को स्नान आदि करवाकर उनके सींगों पर हल्दी, कुमकुम और फूलों की माला पहनाएं.
- उसके बाद भोग में गुड़, हरा चारा, गेहूं, फल अर्पित करें.
- इसके बाद अंत में उनकी आरती और परिक्रमा करें. आप चाहें तो ‘गोमाता की जय’ और ‘गोपाल गोविंद जय जय’ जैसे मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं.
गोपाष्टमी का महत्व
गोपाष्टमी का उल्लेख पद्म और भागवत पुराण में मिलता है, जिसके अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण ने पहली बार गाय चराने का कार्य संभाला था. यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन और ब्रज में मनाया जाता है, जहां पर मुख्य रूप से गायों और बछड़ों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि वे श्री कृष्ण के बेहद प्रिय हैं.
ब्रज में इस तिथि को गायों को स्नान कराया जाता है, उन्हें सजाया जाता है. गोपाष्टमी पर किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान किया जाता है और उन्हें गुड़- चारा खिलाया जाता है और उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है.
यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व भगवान श्री कृष्ण के गो चरण की शुरुआत से जुड़ा है.
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें


