Dhanteras Ki Katha in Hindi : धनतेरस की पौराणिक कथा, जब किसान के यहां 12 वर्ष रहीं माता लक्ष्मी
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Dhanteras Ki Katha: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है और कथा सुनी व पढ़ी जाती है. ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन कुबेर योग और लक्ष्मी योग का सूचक होता है. यहां पढ़ें धनतेरस की पौराणिक कथा…
Dhanteras Ki Katha in Hindi: आज देशभर में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है, यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन समुद्र मंथन से भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि अमृत कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए यह दिन स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और कुबेर देव की पूजा करने के बाद कथा अवश्य सुननी व पढ़नी चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. यहां पढ़ें धनतेरस की कथा…
धनतेरस की पौराणिक कथा (Dhanteras Katha in Hindi)
यह देखकर माता लक्ष्मी से रहा नहीं गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मीजी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं. कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया, जिसमें खूब फूल लगे थे. सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं. आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मीजी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं. उसी समय विष्णुजी आए और यह देख लक्ष्मीजी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, लेकिन तुम नहीं मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी. अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो. ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए.
तब लक्ष्मीजी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं. एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तब तुम जो मांगोगी तुमको वह मिल जाएगा. किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया. पूजा के प्रभाव और लक्ष्मीजी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न,धन,रत्न,स्वर्ण आदि से भर गया. लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया. किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए. फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं.
विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया. तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं. इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके. इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं. तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है. किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूंगा. तब लक्ष्मीजी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूं वैसा करो. कल त्रयोदशी यानी तेरस तिथि है. तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना. रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सायंकाल के समय मेरा पूजन करना और एक तांबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी. लेकिन पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी. इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी. यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं. अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया. उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया. इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें