Dahi Handi State: किस राज्य में होती है जन्माष्टमी की सबसे ज्यादा धूम और क्यों खास है ये पर्व श्रीकृष्ण भक्तों के लिए?

Dahi Handi State: किस राज्य में होती है जन्माष्टमी की सबसे ज्यादा धूम और क्यों खास है ये पर्व श्रीकृष्ण भक्तों के लिए?

Dahi Handi State: श्रीकृष्ण के नाम पर मनाए जाने वाले त्योहारों की बात हो और दही हांडी का नाम न आए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता, ये त्योहार सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक रोमांच और उमंग से भरा उत्सव है. हर साल जन्माष्टमी के ठीक अगले दिन मनाई जाने वाली दही हांडी, कान्हा की बाल लीलाओं की याद दिलाती है. इस दिन ऊंचाई पर लटकी दही की मटकी फोड़ने की कोशिश गोविंदा टोली करती है, जो एक साथ काम करना और मस्ती दोनों का प्रतीक बन चुका है. 2025 में दही हांडी 16 अगस्त को है. तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य रवि पराशर से कि इसका इतिहास क्या है, ये कैसे शुरू हुआ और आज के समय में इसे किस तरह मनाया जाता है.

दही हांडी क्या होती है?
दही हांडी, श्रीकृष्ण की नटखट लीलाओं पर आधारित एक उत्सव है, जिसे खास तौर पर महाराष्ट्र में बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. इस दिन मिट्टी की मटकी में दही, मक्खन, मिश्री वगैरह भरकर उसे काफी ऊंचाई पर बांधा जाता है. फिर गोविंदाओं की एक टीम इंसानी पिरामिड बनाकर उस मटकी तक पहुंचती है और उसे फोड़ देती है. यही होता है दही हांडी का असली मजा.

इस पूरे आयोजन में मस्ती, संगीत, नृत्य और जोरदार जोश देखने को मिलता है. लड़कियां गोविंदा टीम को चिढ़ाती हैं, ढोल-नगाड़ों की आवाज होती है और आसमान से फूलों की बारिश होती है. कुल मिलाकर पूरा माहौल एकदम जश्न भरा लगता है.

दही हांडी का इतिहास क्या है?
दही हांडी की जड़ें सीधे-सीधे श्रीकृष्ण की बचपन की लीलाओं से जुड़ी हैं. कहा जाता है कि जब वे छोटे थे, तब वे माखन चुराने के लिए मशहूर थे. उन्हें ‘माखनचोर’ भी कहा जाता है. गांव की गोपियां जब इससे तंग आ गईं तो उन्होंने मक्खन की मटकी को ऊंची जगह पर टांगना शुरू कर दिया. लेकिन कान्हा ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इंसानी पिरामिड बनाया और मटकी तक पहुंच गए. यही नटखट लीला आज भी दही हांडी के रूप में याद की जाती है. इसीलिए यह पर्व श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और आनंद का मेल है.

आजकल कैसे मनाते हैं दही हांडी?
आजकल दही हांडी सिर्फ धार्मिक रस्म नहीं रह गई है. इसमें बड़े-बड़े इनाम रखे जाते हैं, कई जगह राजनीतिक पार्टियां और सेलिब्रिटीज भी शामिल होते हैं. मुंबई की कुछ हांडी में तो लाखों रुपये तक का इनाम रखा जाता है. कई गोविंदा पथक (टीमें) पूरे साल इसकी तैयारी करते हैं. हालांकि हाल के सालों में सुरक्षा को लेकर काफी ध्यान दिया जाने लगा है. ऊंचाई सीमित रखी जाती है, सुरक्षा गद्दे बिछाए जाते हैं और मेडिकल टीम तैनात रहती है ताकि किसी तरह की अनहोनी न हो.

किस राज्य में मनाया जाता है ये पर्व?
महाराष्ट्र में दही हांडी का जश्न सबसे बड़ा होता है, खासकर मुंबई, ठाणे, पुणे जैसे शहरों में. इसके अलावा उत्तर भारत में मथुरा, वृंदावन और गोकुल में भी इस दिन का खास महत्व होता है. इन जगहों पर तो दही हांडी एक धार्मिक आयोजन की तरह होता है जिसमें भक्त, मंदिरों में कान्हा के भजन गाते हैं और भोग अर्पण करते हैं.

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