Dahi Handi Kab hai?:  क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व, जानें श्रीकृष्ण की लीला से जुड़े इस उत्सव का इतिहास और महत्व

Dahi Handi Kab hai?: क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व, जानें श्रीकृष्ण की लीला से जुड़े इस उत्सव का इतिहास और महत्व

Last Updated:

Dahi Handi 2025 Date: दही हांडी अब एक धार्मिक परंपरा से आगे बढ़कर समाज को जोड़ने वाला, उत्साह और जोश से भरा एक आयोजन बन चुका है. 2025 में ये त्योहार 16 अगस्त को है, ऐसे में तैयार रहिए अपने शहर की गलियों में गूं…और पढ़ें

क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व, जानें श्रीकृष्ण की लीला से जुड़े इस उत्दही हांडी का इतिहास
Dahi Handi 2025 Date: हर साल जन्माष्टमी के अगले दिन जोश और मस्ती से मनाया जाने वाला पर्व है दही हांडी. खासतौर पर महाराष्ट्र में इसकी धूम सबसे ज़्यादा देखने को मिलती है, लेकिन अब ये त्योहार पूरे देश में लोगों को जोड़ने वाला एक उत्सव बन चुका है. इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को याद करते हैं और उन्हीं की तरह मटकी फोड़कर उत्सव मनाते हैं. 2025 में ये त्योहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा. दही हांडी सिर्फ एक खेल या परंपरा नहीं, बल्कि ये लोगों के बीच एकता, मेहनत और जश्न का प्रतीक बन चुका है. आइए जानते हैं दही हांडी की शुरुआत कहां से हुई, इसकी खास बातें और इसका आज के दौर में क्या महत्व है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

दही हांडी क्या है?
दही हांडी, जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला एक उत्सव है जिसमें श्रीकृष्ण की माखन चोरी वाली लीला को दोहराया जाता है. ऊंचे स्थान पर एक मिट्टी की मटकी टांगी जाती है जिसमें दही, माखन या मिठाइयां भरी जाती हैं. फिर लड़कों और लड़कियों की टीम मिलकर इंसानों की पिरामिड बनाती है और उस मटकी को फोड़ने की कोशिश करती है. जो टीम सबसे पहले मटकी फोड़ती है, उसे इनाम दिया जाता है. इस दौरान जगह-जगह ढोल-नगाड़ों के साथ भजन-कीर्तन और नाच-गाना भी होता है.

यह भी पढ़ें – ये 4 शुभ संकेत बताते हैं कि जल्द ही आपकी किस्मत पलटने वाली है, इन्हें नज़रअंदाज़ न करें, जीवन में दिखेगा असर

इसकी शुरुआत कैसे हुई?
इसका ज़िक्र हमें भगवान श्रीकृष्ण की बचपन की कहानियों में मिलता है. जब वे छोटे थे, तो अपने दोस्तों के साथ गांव की गोपियों के घर से माखन और दही चुराते थे. गोपियों ने मटकी को ऊंचे स्थान पर लटकाना शुरू किया ताकि कान्हा न पहुंच सकें, लेकिन श्रीकृष्ण और उनके दोस्त मिलकर पिरामिड बनाते और आसानी से मटकी तक पहुंच जाते. यही लीलाएं आज दही हांडी के रूप में मनाई जाती हैं. यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है और आज भी लोग उसी श्रद्धा और मस्ती के साथ इसे मनाते हैं.

2025 में कब है दही हांडी?
2025 में जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी और इसके अगले दिन यानी शनिवार, 16 अगस्त 2025 को दही हांडी का उत्सव होगा. दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अगस्त को रात 09:34 बजे होगी और इसका समापन 17 अगस्त को सुबह 07:24 बजे होगा. इसी नवमी तिथि पर दही हांडी का आयोजन होता है.

क्यों खास है ये पर्व?
दही हांडी सिर्फ भगवान कृष्ण की लीला को याद करने का मौका नहीं है, ये एक ऐसा पर्व है जो समाज में टीमवर्क, धैर्य और आपसी सहयोग की भावना को भी मज़बूत करता है. इसमें हिस्सा लेने वाले युवाओं की मेहनत, एकजुटता और हिम्मत इस त्योहार को और खास बना देती है. कई जगह तो लाखों रुपये के इनाम भी रखे जाते हैं जो इसको एक बड़े आयोजन का रूप दे देते हैं.

homedharm

क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व, जानें श्रीकृष्ण की लीला से जुड़े इस उत्

Source link

You May Have Missed