Chhath Puja 2025: छठ पर्व में नहीं पड़ती किसी पंडित या पुरोहित की जरूरत, एक या दो नहीं बल्कि 9 नामों से जानी जाती है यह पूजा

Chhath Puja 2025: छठ पर्व में नहीं पड़ती किसी पंडित या पुरोहित की जरूरत, एक या दो नहीं बल्कि 9 नामों से जानी जाती है यह पूजा

Last Updated:

Chhath Puja 2025: चार दिन चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देते ही हो जाता है. छठी मैया और भगवान भास्कर को समर्पित इस पर्व को केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है. साथ ही इस पर्व के एक या दो नहीं बल्कि कई नामों से जाना जाता है. आइए जानते हैं लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को किन-किन नामों से जाना जाता है…

ख़बरें फटाफट

Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व यानी छठ पूजा रामायण और महाभारत के समय से चली आ रही है. इसे वैश्विक पहचान भी मिल चुकी है. देश-विदेश में छठ पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इस पर्व में भगवान सूर्य और माता छठी की आराधना और उपासना की जाती है. इसका उद्देश्य शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाना, संतान की रक्षा करना और परिवार में सुख-समृद्धि और संपन्नता लाना है. लेकिन क्या आपको पता लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से जानते हैं तो कहीं रवि षष्ठी. आइए जानते हैं छठ पूजा को किन-किन नामों से जाना जाता है…

छठ पूजा के हर दिन का विशेष महत्व
छठ पूजा का पर्व चार दिन तक मनाया जाता है, पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पहले दिन यानी नहाया खाय वाले दिन बाहरी शुद्धि की जाती है, दूसरे दिन खरना के माध्यम से आंतरिक शुद्धि होती है और फिर दो दिनों तक सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, पहले डूबते सूर्य को और फिर उगते सूर्य को. छठी मैया और भगवान सूर्य को समर्पित इस व्रत में पवित्रता और शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है. व्रतियों में से अधिकतर लोग निर्जला उपवास रखते हैं, जो 36 घंटे या उससे अधिक का होता है.

इन नामों से भी जाना जाता है छठ पूजा
छठ महापर्व की खास बात यह है कि इसमें किसी पंडित या पुरोहित की जरूरत नहीं होती. भक्त सीधे भगवान के साथ अपने मन की प्रार्थना करता है. छठ पूजा को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. सबसे आम नाम है छठ पूजा, लेकिन इसे छठी पूजा, छठ महापर्व, छठ पूजा, डाला पूजा, छठ मईया पूजा, सूर्य षष्ठी, कार्तिक छठ, चैती छठ और रवि षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व में बांस से बने सूप और डाले का खास महत्व है, इसी वजह से इसे डाला छठ भी कहा जाता है.

साल में 2 बार होती है छठ पूजा
छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है. पहली बार चैती छठ के रूप में, जो चैती महीने में आता है, और दूसरी बार कार्तिक महीने में, जिसे कार्तिक छठ कहते हैं. इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें व्रतियों की श्रद्धा और समर्पण ही पूजा का मूल है. निर्जला उपवास, सूर्य को अर्घ्य देना और पवित्रता के नियमों का पालन भक्तों की भक्ति और संयम की परीक्षा है. छठ पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह लोगों की भावनाओं और आस्था से जुड़ा उत्सव है.

authorimg

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को किन-किन नामों से जाना जाता है? यहां जानिए

Source link

Previous post

Femous Surya Dev Mandir: छठ पूजा पर बिहार के 5 प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, एक मंदिर ने तो औरंगजेब के हमले में खुद बदल दी दिशा

Next post

Chhath Puja में सिर्फ केले के पत्ते और आम की लकड़ी का ही क्यों होता है इस्तेमाल?, मार्कण्‍डेय पुराण में है जिक्र

You May Have Missed