16वीं सदी में बना विघ्नहर्ता का अद्भुत मंदिर, दर्शन मात्र से दूर होती हैं बाधाएं, बेहद खास है पौराणिक कथा
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वैसे तो आपने प्रथम पूज्य श्रीगणेश के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे लेकिन तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर के पास भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर है, जो अपने आप में बेहद रहस्यमयी है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और जीवन को नई ऊर्जा मिलती है. आइए जानते हैं श्रीगणेश के इस मंदिर के बारे में…
Arulmigu Eachanari Vinayagar Temple: गौरी पुत्र के दर्शन मात्र से जीवन की तमाम परेशानियों और दुख-दर्द के साथ ही बाधाओं का भी नाश होता है. तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से महज 12 किलोमीटर दूर भगवान गणेश को समर्पित प्राचीन और अद्भुत ईचनारी विनायगर मंदिर है. कोयंबटूर एनएच 209 पर स्थित ईचनारी विनायगर मंदिर भगवान गणेश को समर्पित अति प्राचीन और खूबसूरत मंदिर है. द्रविड़ शैली की वास्तुकला से बना यह मंदिर शांत और ध्यानपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. दुनिया भर से आने वाले भक्त यहां विघ्नहर्ता गणेश के दर्शन कर जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और जीवन में नई ऊर्जा मिलती है. आइए जानते हैं भगवान गणेश के इस मंदिर के बारे में…
मंदिर को लेकर पौराणिक कथा
मंदिर के बारे में तमिलनाडु पर्यटन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर विस्तार से जानकारी मिलती है. मंदिर में स्थापित 6 फुट ऊंची और 3 फुट व्यास वाली विशाल मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र है. मंदिर की स्थापना की पौराणिक कथा बेहद रोचक है. लगभग 16वीं शताब्दी में मदुरै से कोयंबटूर के निकट पेरुर पट्टीश्वरर मंदिर में स्थापना के लिए भगवान गणेश की यह विशाल मूर्ति बैलगाड़ी पर लाई जा रही थी. जब गाड़ी ईचनारी गांव पहुंची, तो अचानक गाड़ी की धुरी टूट गई. बार-बार कोशिश के बावजूद मूर्ति को आगे नहीं बढ़ाया जा सका और वह वहीं जमीन में धंस गई.

गणेश चतुर्थी पर होते हैं कई उत्सव
भक्तों ने इसे भगवान गणेश की इच्छा मानकर यहीं मंदिर का निर्माण कराया. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कथा बताती है कि विघ्नहर्ता स्वयं यहां विराजमान होना चाहते थे. भक्त मानते हैं कि यहां दर्शन मात्र से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. विनायगर मंदिर में गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सुबह-सुबह गणपति होमम यज्ञ होता है, जो पारंपरिक अग्नि अनुष्ठान है. इसमें भाग लेकर भक्त गणपति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. गर्भगृह के चारों ओर भगवान गणेश की पौराणिक कथाओं के चित्र और वर्णन लगे हैं.

दर्शन करने मात्र से मिलती है नई ऊर्जा
भक्त मंदिर ट्रस्ट से टोकन लेकर अर्चना और प्रसाद बुक कर सकते हैं. गर्भगृह के आसपास शांत जगह पर बैठकर ध्यान या आराम भी किया जा सकता है. मंदिर सुबह 5 से रात 9 बजे तक खुला रहता है और प्रवेश निशुल्क है. यहां रोजाना सुबह गणपति होमम होता है, जो विशेष आकर्षण है. गणपति में विशेष आस्था के साथ यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. भक्तों का मानना है कि इस अद्भुत मंदिर में गणपति के दर्शन करने मात्र से उन्हें शांति, आशीर्वाद और जीवन में नई ऊर्जा मिलती है.

प्रकृति प्रेमियों और तीर्थयात्रियों के लिए बेहद खास जगह
ईचनारी विनायगर मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि द्रविड़ संस्कृति और वास्तुकला का जीवंत उदाहरण भी है. खास बात है कि मंदिर के पास भी पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है. अनामलाई वन्यजीव अभयारण्य, सिरुवानी झरना और मरुदमलाई पहाड़ी मंदिर जैसे पर्यटन स्थल हैं, जो प्रकृति प्रेमियों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं.
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