Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ पूजा पर पढ़ें यह व्रत कथा, पति की बढ़ेगी आयु, मिलेगा अखंड सौभाग्य
करवा चौथ व्रत कथा
करवा ने बताया कि आज वह निर्जला व्रत है. यह व्रत तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक कि चंद्रमा को अर्घ्य न दे दिया जाए. चंद्रमा के उदित न होने से वह पारण नहीं कर सकती थी, तब तक वह भूख-प्यास से व्याकुल थी. बहन को इस हालत में देखकर सभी भाई परेशान हो गए. तभी उनमें से सबसे छोटे भाई को एक विचार आया.
वह घर के बाहर पीपल के पेड़ पर छलनी में एक दीपक रख देता है. दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रोदय हो रहा है. उसके बाद वह अपनी बहन को जाकर बताता है कि चांद निकल आया है. यह सुनकर करवा खुश होती है. वह उस छलनी के दीपक को चांद समझकर अर्घ्य देती है और पारण करने के लिए बैठ जाती है.
वह अपने मुंह में पहला निवाला डालती है, तो उसे छींक आ जाती है. दूसरा निवाला उठाती है तो उसमें बाल पड़ा होता है. तीसरा निवाला मुंह में डालती ही है कि उसे एक बुरी खबर सुनने को मिलती है. उसके पति का देहांत हो गया. यह सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं. वह बदहवास सी हो जाती है. रोने और चिल्लाने लगती है.
उसी बीच उसकी भाभी ने बताया कि व्रत के पारण के लिए उसके छोटे भाई ने क्या किया था. यह सुनकर करवा हैरान होती है, लेकिन वह प्रण करती है कि वह अपने पति को जीवित कराएगी. उसके पति के शव को सुरक्षित रखा जाता है. करवा शव के पास सालभर रहती है.
पति के शव के पास सूई जैसी घासें उगती हैं, उसे एकत्र कर लेती है. उस बार जब करवा चौथ का व्रत आता है, तो उसकी सभी भाभी व्रत रखती हैं. पूजा के समय वे सभी करवा से आशीर्वाद के लिए आती हैं. तो करवा उनसे कहती है कि यम की सूई ले लो, पिय की सूई दे दो, मुझे भी सुहागन बना दो. वह एक-एक करके 6 भाभियों से कहती है, तो वे मना कर देती है. वे कहती हैं कि छोटे भाई की वजह से ऐसा हुआ है तो तुम उसकी पत्नी से कहो.
सबसे आखिर में छोटे भाई की पत्नी आती है तो करवा उससे भी वही बात कहती है. छोटी भाभी भी उसकी बातें नहीं मानती है और उसे टालना चाहती है. लेकिन करवा उसे जोर से पकड़ लेती है. अंत में वह करवा की बात मान जाती है क्योंकि वह एक साल से कठोर तप कर रही थी.
छोटी भाभी अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली काटकर अमृत निकालती है और उसके मृत पति के मुख में डालती है. उसके प्रभाव से करवा का पति गणेश जी के नाम का स्मरण करते हुए जीवित हो जाता है. इस व्रत, गणेश जी और मां गौरी की कृपा से करवा का पति जीवित होता है.
जो भी यह व्रत करे, उसे गणेश जी और मां गौरी की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो.


