Vastu Tips: साल में सिर्फ एक बार खिलने वाला दुर्लभ फूल, जिसे लगाने से बदल सकती है किस्मत! जानिए इसके शुभ असर और फायदे

Vastu Tips: साल में सिर्फ एक बार खिलने वाला दुर्लभ फूल, जिसे लगाने से बदल सकती है किस्मत! जानिए इसके शुभ असर और फायदे

Brahm Kamal : प्रकृति कई रहस्यों से भरी है, लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो खुद में आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता समेटे होती हैं. ब्रह्मकमल ऐसा ही एक फूल है जो साल में सिर्फ एक बार खिलता है और वो भी कुछ ही घंटों के लिए. यह फूल अपनी सुंदरता, पौराणिक मान्यता और दुर्लभता के कारण खास महत्व रखता है. इसे केवल देख लेना भी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है. उत्तराखंड जैसे हिमालयी इलाकों में पाया जाने वाला यह फूल वहां का राज्य पुष्प भी है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी से.

ब्रह्मकमल कैसा दिखता है और कब खिलता है?
ब्रह्मकमल सफेद रंग का होता है और आकार में कमल के जैसा दिखाई देता है. यह फूल जुलाई से सितंबर के बीच खिलता है और कुछ ही समय में मुरझा जाता है. इसे अक्सर रात के समय खिलते हुए देखा गया है, जिससे इसका रहस्य और भी बढ़ जाता है. इसकी खुशबू हल्की लेकिन मन को शांति देने वाली होती है.

ब्रह्मकमल को घर पर लगाने के फायदे
ब्रह्मकमल को घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है. कहते हैं जहां यह फूल होता है, वहां सुख, शांति और धन की कभी कमी नहीं रहती. जब यह फूल घर में खिलता है, तो ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी की विशेष कृपा उस घर पर बरसती है.

इस फूल से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है
-घर में सुख-समृद्धि आती है
-मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है
-प्रेम और सौंदर्य में वृद्धि होती है
-शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को कम करता है

ब्रह्मकमल की दुर्लभता और उसका अचानक खिलना इसे और खास बना देता है. माना जाता है कि जो इस फूल के दर्शन कर लेता है, उसकी किस्मत खुल जाती है.

ब्रह्मकमल को घर में कहां रखें?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, ब्रह्मकमल को घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखना शुभ होता है. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र मानी जाती है. अगर इसे मंदिर या पूजा स्थान के पास रखा जाए तो इसका असर और भी तेज हो जाता है. इसकी खुशबू और आभा वातावरण को शांत और पवित्र बना देती है.

ब्रह्मकमल से जुड़ी पौराणिक कथाएं
पौराणिक मान्यताओं में ब्रह्मकमल का खास स्थान है. एक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ध्यान में लीन थे और जब उनकी आंख खुली, तो उन्होंने खुद को एक कमल के रूप में देखा. तभी से इस फूल का नाम ब्रह्मकमल पड़ा.

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