Indira Ekadashi 2025: पितृपक्ष में दीपदान से खुलेंगे मोक्ष के द्वार, विष्णु की कृपा से होगा कल्याण
क्यों खास है इंदिरा एकादशी?
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि एक समय राजा इंद्रसेन ने इस व्रत को किया था, जिससे उनके पितरों को मुक्ति मिली और राज्य में सुख-शांति लौट आई. तभी से यह परंपरा बनी कि इस एकादशी को उपवास करने और दीप अर्पित करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति को जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं.
इंदिरा एकादशी पर दीप जलाना सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना भी मानी जाती है. शाम को भगवान विष्णु के सामने दीप अर्पित करने से अंधकार दूर होता है और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसके अलावा, दीप जलाते समय जब व्यक्ति अपने पूर्वजों को याद करता है तो उनके प्रति श्रद्धा प्रकट होती है और आत्मिक जुड़ाव बढ़ता है.
मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से पितरों को स्वर्गलोक में स्थान मिलता है और उनके जीवन के सभी दोष मिट जाते हैं. यही नहीं, घर में भी सुख-शांति बनी रहती है, और धन, सेहत व तरक्की के रास्ते खुलते हैं.
-पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है
-घर का वातावरण शांत और सकारात्मक रहता है
-रोग और कर्ज से छुटकारा मिलता है
-भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है
-पारिवारिक समृद्धि में वृद्धि होती है
कैसे करें व्रत और दीपदान?
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थान को सजाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं. फल, फूल, तुलसी और पंचामृत से पूजा करें. पूरे दिन फलाहार करें और मन को शांत रखें. शाम को दीपदान करें और पितरों का स्मरण करें.