Pitru Paksha 10th Day: पितृ पक्ष की दशमी तिथि का श्राद्ध आज, जानें कुतुप मुहूर्त, महत्व और किन मामलों में बरतें सावधानी
Dashmi Shraddha 2025 Pitru Paksha In Hindi: आज आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा और आज हनुमानजी को समर्पित मंगलवार का दिन भी है. वैसे तो पितृ पक्ष का हर दिन अपने आप में खास माना जाता है, लेकिन दशमी तिथि का श्राद्ध विशेष महत्व रखता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन जिन दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध कर पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से वे तृप्त होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं. साथ ही दोष और चिंताओं से परिजनों को पितरों की कृपा से मुक्ति मिलती है. पितृ पक्ष में कुतुप काल को श्राद्ध व तर्पण करने के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है, इस मुहूर्त का संबंध सीधे पितरों से माना जाता है. आइए जानते हैं दशमी तिथि का श्राद्ध करने के विधि, मुहूर्त और किन मामलों में बरतें सावधानी…
दशमी श्राद्ध अनुष्ठान तिथि 16 सितंबर, दिन शनिवार
दशमी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर, सुबह 1 बजकर 31 मिनट से
दशमी तिथि समापन: 17 सितंबर, सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक
दशमी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर, सुबह 1 बजकर 31 मिनट से
दशमी तिथि समापन: 17 सितंबर, सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक
कुतुप काल का मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
रोहिणी मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से 1 बजकर 47 मिनट तक
अपराह्न काल: आज दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से 4 बजकर 13 मिनट तक
दशमी तिथि के श्राद्ध का महत्व
दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति की प्रतीक तिथि माना गया है. इस दिन किया गया श्राद्ध उन पितरों के लिए विशेष फलदायी होता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो. शास्त्रीय नियम के अनुसार, श्राद्ध उसी तिथि को करना श्रेष्ठ माना गया है जिस तिथि को पितृ का देहावसान हुआ हो. मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्मा आसानी से आह्वान पर आती है और संतुष्ट होकर घर-परिवार की रक्षा करती है. दशमी तिथि का श्राद्ध करने से संतान सुख, आयु वृद्धि और परिवार में शांति का आशीर्वाद मिलता है.
दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति की प्रतीक तिथि माना गया है. इस दिन किया गया श्राद्ध उन पितरों के लिए विशेष फलदायी होता है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो. शास्त्रीय नियम के अनुसार, श्राद्ध उसी तिथि को करना श्रेष्ठ माना गया है जिस तिथि को पितृ का देहावसान हुआ हो. मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्मा आसानी से आह्वान पर आती है और संतुष्ट होकर घर-परिवार की रक्षा करती है. दशमी तिथि का श्राद्ध करने से संतान सुख, आयु वृद्धि और परिवार में शांति का आशीर्वाद मिलता है.

दशमी तिथि के श्राद्ध में क्या करें
– आज दशमी तिथि के मौके पर गंगा जल, तिल, जौ, कुश और चावल का उपयोग कर पिंडदान करना चाहिए.
– आज दशमी को पितरों के नाम से अन्न, जल और दान शुद्ध मन से करें.
– श्राद्ध दिन में मध्याह्न (अपरा काल) में करना श्रेष्ठ है.
– पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना गया है.
– जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, छाता, जूते और दक्षिणा दान करने से पुण्य मिलता है.
– श्राद्ध करने वाले परिवार को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.
– आज दशमी तिथि के मौके पर गंगा जल, तिल, जौ, कुश और चावल का उपयोग कर पिंडदान करना चाहिए.
– आज दशमी को पितरों के नाम से अन्न, जल और दान शुद्ध मन से करें.
– श्राद्ध दिन में मध्याह्न (अपरा काल) में करना श्रेष्ठ है.
– पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना गया है.
– जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, छाता, जूते और दक्षिणा दान करने से पुण्य मिलता है.
– श्राद्ध करने वाले परिवार को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.
किन बातों का रखें ध्यान
– आज मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें.
– इस दिन झगड़ा, क्रोध, अपशब्द या अपवित्र आचरण नहीं करना चाहिए.
– श्राद्ध कर्म दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही करना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी गई है.
– श्राद्ध के दिन नाखून काटना, बाल कटवाना या नए कपड़े पहनना अशुभ माना गया है.
– श्राद्ध कर्म हमेशा शास्त्रसम्मत विधि और पंडित की मार्गदर्शन में ही करना श्रेष्ठ होता है.