Pitru Paksha Matru Navami 2025: मातृ नवमी पर दुर्लभ सिद्धि योग का संयोग, जानें क्यों खास है पितृपक्ष की नवमी तिथि, इस दिन क्या करें क्या ना करें

Pitru Paksha Matru Navami 2025: मातृ नवमी पर दुर्लभ सिद्धि योग का संयोग, जानें क्यों खास है पितृपक्ष की नवमी तिथि, इस दिन क्या करें क्या ना करें

Shradh Pitru Paksha Matru Navami Tithi In Hindi : मातृ नवमी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है और यह शुभ तिथि 15 सितंबर दिन सोमवार को है. पितृ पक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी कहा जाता है क्योंकि इस दिन मातृ पक्ष यानी दिवंगत माताएं, बहन, बेटियां, दादी, नानी आदि का श्राद्ध व तर्पण किया जाता है. साथ ही इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन नवमी तिथि को हुआ हो. मान्यता है कि मातृ नवमी के दिन किए गए श्राद्ध व दान से ना केवल मातृ पितर तृप्त होते हैं बल्कि घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और कुल की वृद्धि होती है. आइए जानते हैं मातृ नवमी आखिर क्यों खास है और इस दिन क्या करें क्या ना करें…

मातृ नवमी का महत्व
पितृपक्ष की नवमी तिथि को उन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन उनके पति के जीवित रहते हुआ है. जो लोग इस दिन तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और पितरों के नाम का दान करते हैं, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है और पितरों की कृपा हमेशा पूरे परिवार पर बनी रहती है. यह दिन मातृ शक्तियों और पितृ ऋण से मुक्ति का दिन है. खासकर जिनके परिवार में माताओं का निधन हो चुका है, वे इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं.

मातृ नवमी 2025 शुभ योग
मातृ नवमी पर इस बार बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने का विशेष महत्व है.

मातृ नवमी क्यों है खास?
पितृ पक्ष की नवमी तिथि, जिसे मातृ नवमी कहा जाता है. यह तिथि मुख्यतः दिवंगत माताओं (स्त्रियों) को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन मातृ-पितृ आत्माएं घर आती हैं और तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न होती हैं. इस तिथि को देवी शक्ति की उपासना से भी जोड़ा गया है. यह दिन संतान की उन्नति, परिवार की समृद्धि और मातृ कृपा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ है.

मातृ नवमी पर क्या करें…
प्रातः स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें.
मातृ-देवताओं का स्मरण करें और दीपक जलाएं.
पितरों और मातृ आत्माओं के लिए तर्पण, पिंडदान और भोजन अर्पित करेंय
ब्राह्मण, कन्या या जरूरतमंद को भोजन और दान दें.
पंचबलि श्राद्ध अवश्य करें.
घर में स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखें.
माता-पिता और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें.

मातृ नवमी पर क्या न करें…
मातृ नवमी पर घर में झगड़ा, क्रोध या अपवित्र कार्य न करें.
मातृ नवमी पर मांस-मदिरा समेत तामसिक भोजन का सेवन वर्जित माना गया है.
मातृ नवमी पर किसी भी महिला का अनादर ना करें और सभी महिलाओं के प्रति सम्मान व्यक्ति करें.
मातृ नवमी पर झूठ बोलना, छल-कपट करना, दूसरों का अनादर करना अशुभ फल देता है.
मातृ नवमी पर किसी भूखे या जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं.

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