सावन बुध प्रदोष व्रत 2025: शिव कृपा पाने का पावन अवसर, जानें पूजा विधि और व्रत का महत्व

सावन बुध प्रदोष व्रत 2025: शिव कृपा पाने का पावन अवसर, जानें पूजा विधि और व्रत का महत्व

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Sawan Budh Pradosh 2025 Puja Vidhi : सावन का बुध प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का अनमोल अवसर है. यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति पाने का भी सुंदर माध्यम है. य…और पढ़ें

शिव पूजा विधि सावन प्रदोष

हाइलाइट्स

  • सावन बुध प्रदोष व्रत 6 अगस्त 2025 को है.
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाना और मंत्र जाप करना शुभ है.
  • व्रत से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है.
Sawan Budh Pradosh 2025 Puja Vidhi : सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का सबसे पावन समय माना जाता है. इस पूरे माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, उपवास रखना और शिव मंत्रों का जाप करना भक्तों को विशेष फल देता है. इस माह में आने वाले प्रदोष व्रत का भी विशेष महत्व होता है और जब यह व्रत बुधवार को आता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. सावन 2025 में यह व्रत एक खास दिन यानी आज है, जो भगवान शिव की कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर माना जा रहा है. इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. ऐसा माना जाता है कि शिवजी इस दिन अपने भक्तों की सभी सच्ची मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

कब है सावन का आखिरी बुध प्रदोष व्रत?
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त 2025 को दोपहर 2:08 बजे से शुरू होगी और 7 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे समाप्त होगी. इस तिथि पर पड़ने वाला प्रदोष व्रत, खासकर शाम के समय किया जाता है, जब प्रदोष काल होता है. इसलिए सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 6 अगस्त 2025, बुधवार आज रखा जा रहा है.

बुध प्रदोष व्रत करने के फायदे
जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से व्रत करता है और भगवान शिव की आराधना करता है, उसे जीवन में स्थायी सुख, धन-धान्य, भूमि और वाहन की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही ग्रहों की दशा सुधरती है, मानसिक शांति मिलती है और पुराने रोगों से राहत मिलती है.

पूजा की सही विधि
1. सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2. पूजा के लिए शिवलिंग को एक चौकी पर रखें या मंदिर में जाएं.
3. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, बेल पत्र और आक के फूल अर्पित करें.
4. धूप, दीप और फूल अर्पित करते हुए शिव मंत्रों का जाप करें.
5. भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं.
6. शाम के समय प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें.
7. अंत में शिव जी की आरती करें और परिवार सहित आशीर्वाद लें.

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