Sawan Putrada Ekadashi Vrat 2025: 3 शुभ योग में आज सावन पुत्रदा एकादशी, जानें पूजा विधि, महत्व, पूजन मुहूर्त और
सावन पुत्रदा एकादशी 2025 शुभ योग
दृक पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल एकादशी तिथि 4 अगस्त 2025 को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के आधार पर व्रत 5 अगस्त यानी आज रखा जाएगा. आज सूर्योदय सुबह 5 बजकर 45 मिनट और सूर्यास्त शाम 7 बजकर 9 मिनट पर होगा. सावन पुत्रदा एकादशी पर रवि योग, गजकेसरी योग और इंद्र नामक शुभ योग बन रहा है.
सावन पुत्रदा एकादशी 2025 पूजन मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त: 12:01 पी एम से 12:54 पी एम
रवि योग: 05:46 ए एम से 11:23 ए एम
इन शुभ मुहूर्त में आप सावन पुत्रदा एकादशी का पूजा अर्चना कर सकते हैं.
पुत्रदा एकादशी का दिन न केवल नारायण बल्कि महादेव की कृपा प्राप्त करने की दृष्टि से भी बेहद खास है. इसके पूजन की विधि भी बेहद सरल है. यह व्रत और पूजन संतान के साथ ही पूरे परिवार की सुख शांति के लिहाज से महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान नारायण और महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी दुख व परेशानियों से मुक्ति मिलेगी और सुख-शांति और समृद्धि आएगी.

धर्मशास्त्रों में सावन पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि बताई गई है. इसके अनुसार, आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. पूजा में दीप, धूप, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें. एकादशी के दिन 21 तुलसी दल भगवान विष्णु को अवश्य अर्पित करें, श्रीहरि की पूजा तुलसी के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. विष्णु सहस्रनाम और शिव स्तोत्र का पाठ करें. एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें. दिनभर व्रत रखें और रात्रि में भगवान का भजन-कीर्तन करें. अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और फिर व्रत का पारण करें.
सावन पुत्रदा एकादशी महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, पारिवारिक सुख-समृद्धि और पापों का नाश होता है. यह व्रत भगवान विष्णु और शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है. दान-पुण्य और भक्ति से इस व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. सावन पुत्रदा एकादशी का यह पर्व और भी महत्व रखता है. सावन पुत्रदा एकादशी भगवान शिव, भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का अंतिम मौका है.

विष्णुजी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय
दुख विनसे मन का
स्वामी दुख विनसे मन का
सुख संपत्ति घर आवे
सुख संपत्ति घर आवे
कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय
मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय
तुम करुणा के सागर
तुम पालक मेरे
स्वामी तुम पालक मेरे
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवा करूं तेरी॥ ॐ जय
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय
भगवान विष्णु की जय, माता लक्ष्मी की जय


