79 डिग्री देशांतर पर एक सीधी रेखा और 7 शिव मंदिर… रहस्यों से भरे हैं ‘शिव शक्ति अक्ष रेखा’ में स्थापित शिवालय
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Mysterious Shiva Temples: भारत में हर रोज चमत्कार होते रहते हैं और यही भारत की पहचान है. आज हम आपको महादेव के ऐसे सात मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, 79 डिग्री देशांतर पर एक सीधी रेखा में सात शिवजी के मंद…और पढ़ें

देवाधिदेव को अति प्रिय सावन का महीना आज समाप्त होने को है. इस महीने में देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. देशभर में ऐसे कई शिव मंदिर हैं, जो भक्ति के साथ ही आश्चर्य को भी समेटे हुए हैं. ऐसे ही मंदिरों में शिव के कुछ मंदिर हैं जो ‘शिव शक्ति अक्ष रेखा’ में स्थित हैं. भारत में सात प्राचीन शिव मंदिर एक सीधी रेखा में 79 डिग्री देशांतर पर स्थित हैं. इस रेखा को ‘शिव शक्ति अक्ष रेखा’ कहा जाता है, जो उत्तर में केदारनाथ से दक्षिण में रामेश्वरम तक फैली है.
आदि शंकराचार्य ने किया था जीर्णोद्धार
वायु तत्व का प्रतिनिधित्व
श्रीकालहस्ती मंदिर वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. स्वर्णमुखी नदी के किनारे बने इस मंदिर में शिवलिंग को वायु लिंगम कहा जाता है. आश्चर्यजनक रूप से बंद गर्भगृह में दीपक की लौ हिलती रहती है, जो वायु की उपस्थिति को दिखाती है. यह मंदिर तिरुपति से 36 किमी दूर है और 5वीं शताब्दी में इसका निर्माण माना जाता है.
पृथ्वी तत्व का प्रतीक
अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व
इसके बाद नंबर आता है अरुणाचलेश्वर मंदिर का, जो तमिलनाडु के तिरुवन्नामलै जिले में स्थित है. अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला यह मंदिर अरुणाचल पर्वत के तल पर है. यहां शिव अग्नि लिंगम के रूप में पूजे जाते हैं. कार्तिक दीपम उत्सव में पहाड़ी पर भव्य दीपक जलाया जाता है, जो शिव की अग्नि शक्ति को दिखाता है. 9वीं शताब्दी में चोल वंश ने इसका निर्माण शुरू किया था.
जल तत्व का प्रतीक
आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व
तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित थिल्लई नटराज मंदिर आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. यह मंदिर भगवान शिव के नटराज रूप को समर्पित है. 10वीं शताब्दी में चोल वंश द्वारा निर्मित यह मंदिर वैदिक और तमिल पूजा पद्धतियों का संगम है. यहां शिवलिंग निराकार रूप में पूजा जाता है.
दक्षिणी छोर पर रामेश्वरम
79 डिग्री देशांतर
इन मंदिरों का 79 डिग्री देशांतर पर एक सीधी रेखा में होना रहस्यमय है. ये मंदिर अति प्राचीन हैं, ये तब के हैं, जब अक्षांश-देशांतर मापने की तकनीक नहीं थी. फिर भी अलग-अलग समय और राजवंशों द्वारा निर्मित ये मंदिर एक रेखा में हैं, जो प्राचीन भारतीय योग और वास्तु विज्ञान की उन्नत समझ को दिखाता है. कुछ विद्वान मानते हैं कि यह रेखा पृथ्वी की भू-चुंबकीय ऊर्जा से जुड़ी हो सकती है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें


