1761 में तैयार हुआ था जयपुर का यह ऐतिहासिक गणेश मंदिर, दर्शन करने मात्र से इच्छा होती है पूरी

1761 में तैयार हुआ था जयपुर का यह ऐतिहासिक गणेश मंदिर, दर्शन करने मात्र से इच्छा होती है पूरी

Last Updated:

प्रथम पूज्य भगवान गणेश की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सभी ग्रह-नक्षत्र का शुभ फल देते हैं और सभी कार्य पूरे हो जाते हैं. आज हम आपको गणेशजी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

जयपुर का ऐतिहासिक मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जहां उमड़ती है श्रद्धालुओं की आस्था
विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन करने मात्र से सभी कष्ट व परेशानियों से मुक्ति मिलती है और हर कार्य सिद्ध हो जाते हैं. वैसे तो देशभर में गणेशजी के कई मंदिर हैं लेकिन इन्हीं में से एक है मोती डूंगरी मंदिर, जो जयपुर में स्थित है. भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस मंदिर में प्रत्येक बुधवार को सैंकड़ों की संख्या में लोग पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की कामना पूरी होती है. भक्तों की भीड़ से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना प्रसिद्ध मंदिर है.

छोटी पहाड़ी पर स्थित है मंदिर
जयपुर में यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. यह पहाड़ी दूर से देखने में काफी छोटी दिखाई देती है. इसलिए इसे मोती डूंगरी मंदिर कहा जाता है. यहां अतीत में सवाई मान सिंह द्वितीय (जयपुर के अंतिम शासक) का आवासीय परिसर था. बाद में यह राजमाता गायत्री देवी और उनके पुत्र जगत सिंह का निवास स्थान बना. यह महल अब इस राजपरिवार की निजी संपत्ति है और यहीं पर भगवान गणेश का यह प्रसिद्ध मंदिर है. यह इस क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है.

1761 में मंदिर बनकर तैयार हुआ
जानकारों के अनुसार, मावली (मेवाड़) के राजा जब एक लंबी यात्रा से अपने महल लौट रहे थे, वे अपने साथ भगवान गणेश की विशाल मूर्ति बैलगाड़ी में ले जा रहे थे. वे अपने महल के पास ही भगवान गणेश जी का मंदिर बनवाना चाहते थे. उन्होंने मन ही मन सोचा कि यह गाड़ी जहां रुकेगी वहीं पर वे मंदिर बनवाएंगे. तभी रास्ते में मोती डूंगरी की पहाड़ी की तलहटी में बैलगाड़ी रुक गई और आगे बढ़ी ही नहीं. इसे ईश्वर का संकेत मानकर उन्होंने वहीं पर मंदिर का निर्माण कराने का आदेश दिया. इस मंदिर को बनवाने की जिम्मेदारी सेठ जयराम पालीवाल को दी गई. उन्होंने मुख्य पुजारी महंत शिव नारायण जी की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण शुरू किया और 1761 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ. इसे बनाने में करीब चार महीने का वक्त लगा था.

दुनिया के लगभग हर कोने से लोग आते है यहां
इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति बैठने की अवस्था में है. इसे सिंदूर से सजाया गया है. इसके पास में ही बिरला मंदिर भी है. यहां पर हर साल गणेश उत्सव में भक्तों का तांता लग जाता है. यह मंदिर भव्य वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व एवं धार्मिक आस्था का प्रतीक है और दुनियाभर में प्रसिद्ध है. भगवान गणेश को समर्पित होने के कारण, यह मंदिर अपने मनोरम स्थान और दर्शनीय दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है. दुनिया के लगभग हर कोने से लोग भगवान गणेश को अपनी श्रद्धा और प्रसाद अर्पित करने के लिए यहां आते हैं.

authorimg

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

जयपुर का ऐतिहासिक मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जहां उमड़ती है श्रद्धालुओं की आस्था

Source link

You May Have Missed