16 सोमवार व्रत का रहस्य: जानिए कैसे भगवान भोलेनाथ की कृपा से बदल सकता है भाग्य, जानें व्रत की सही विधि और महत्व
स्कंद पुराण में क्या कहा गया है?
स्कंद पुराण में लिखा गया है कि जब एक महिला शादी के बाद अपने पति के घर में रहती है और ईमानदारी से व्रत, पूजा और शिव का स्मरण करती है, तो इसका सकारात्मक असर उसके पूरे परिवार पर होता है. उसकी तपस्या और श्रद्धा का फल न सिर्फ उसे, बल्कि उसके पति और बच्चों को भी मिलता है.
इस व्रत की शुरुआत किसी भी सोमवार से की जा सकती है. लगातार 16 सोमवार तक इसका पालन किया जाता है. हर सोमवार सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और भगवान शिव का अभिषेक करें. दूध, जल, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाकर शिव का पूजन करें.
व्रत विधि में मुख्य बिंदु
1. सुबह जल्दी उठकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें
2. “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें
3. दिनभर व्रत रखें (फलों पर रह सकते हैं)
4. शाम को शिव मंदिर जाकर दर्शन करें
5. रात को शिव कथा सुनें या पढ़ें
6. 16वें सोमवार को व्रत का उद्यापन करें – यानी विशेष पूजा के साथ समापन
ऐसा कहा जाता है कि 16 सोमवार का व्रत रखने से शिव कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. विवाह में अड़चनें दूर होती हैं, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और पारिवारिक जीवन में संतुलन बना रहता है. जो महिलाएं यह व्रत श्रद्धा से करती हैं, उनके पति दीर्घायु और स्वस्थ रहते हैं. साथ ही उनके बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल होता है.
सिर्फ सोमवार ही क्यों?
हालांकि यह व्रत सोमवार को किया जाता है, लेकिन स्कंद पुराण के अनुसार, किसी भी दिन किया गया व्रत, जब भक्ति और विश्वास से किया जाए, तो उसका असर जरूर होता है. चाहे वह एकादशी हो, चतुर्थी हो, तीज या छठ – हर व्रत की अपनी खासियत है. लेकिन 16 सोमवार का व्रत विशेष रूप से शिवजी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है.


