हर गुरुवार को करें बृहस्पति चालीसा का पाठ, मिटेगा कुंडली का गुरु दोष, काम होंगे सफल
बृहस्पति चालीसा
दोहा
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण,
बुद्धि ज्ञान गुन खान।
बसों ह्रदय में आन॥
अज्ञानी मति मंद मैं,
हैं गुरुस्वामी सुजान।
तुम हो कृपा निधान॥
चौपाई
जय नारायण जय निखिलेशवर।
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥
भारत भू के प्रेम प्रेनता॥
जब जब हुई धरम की हानि।
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥
सिद्धाश्रम से आप पधारे॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा।
ओय करन धरम की रक्षा॥
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा।
मुल्तानचंद पिता कर नामा॥
माता को दर्शन दिखलाए॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक।
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥
पूजा करते आराधक की॥
जन्म वृतन्त सुनायए नवीना।
मंत्र नारायण नाम करि दीना॥
सिद्ध योगी मानव तन धारी॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित।
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥
करि स्नान लगे चिन्तन में॥
चिन्तन करत समाधि लागी।
सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥
शंकर जैसे बने गृहस्थी॥
अदभुत संगम प्रभु माया का।
अवलोकन है विधि छाया का॥
जंहा नारायण वाही भगवती॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी।
तब हिमगिरी गमन की ठानी॥
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन।
करम भूमि आए नारायण॥
जय गुरुदेव साधना पूंजी॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा।
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥
भारत का भौतिक उजियारा॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता।
सीधी साधक विश्व विजेता॥
भूत-भविष्य के आप विधाता॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर।
षोडश कला युक्त परमेश्वर॥
संन्यासी अनन्यतम संता॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया।
पारद का शिवलिंग बनाया॥
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥
पूजा कर नित ध्यान लगावे।
वो नर सिद्धाश्रम में जावे॥
पूजनीय जन-जन के प्यारे॥
चिन्तन करत मंत्र जब गाएं।
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं॥
ध्यानत भागत भूत-पिशाचा॥
प्रातः कल करहि निखिलायन।
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन॥
रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे॥
पथ करही नित जो चालीसा।
शांति प्रदान करहि योगिसा॥
सर्व सिद्धिया पावत जन सो॥
श्री गुरु चरण की धारा।
सिद्धाश्रम साधक परिवारा॥
बारंबार नमामी नमामी॥
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)


