हनुमानजी के पिता और माता का नाम क्या है? कब हुआ था उनका जन्म, जानिए परिवार के साथ कहां रहते थे बजरंगबली

हनुमानजी के पिता और माता का नाम क्या है? कब हुआ था उनका जन्म, जानिए परिवार के साथ कहां रहते थे बजरंगबली

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Hanuman Ji Ke Pita Ka Naam: हनुमानजी के पिता का नाम केसरी और माता का नाम अंजनी था. उनका जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ था. हनुमानजी को पवन पुत्र भी कहा जाता है.

जानिए, कौन हैं हनुमानजी के माता-पिता. (Image- AI)

हाइलाइट्स

  • हनुमानजी के पिता का नाम केसरी था.
  • हनुमानजी की माता का नाम अंजनी था.
  • हनुमानजी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ था.
Hanuman Ji Ke Pita Ka Naam: हनुमानजी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के परम भक्त हैं. हनुमानजी अजर-अमर बताए गए हैं. पुराणों में उनके ब्रह्मचारी होने का उल्‍लेख है, वह अविवाहित हैं. बजरंगवली अपने भक्तों पर आने वाले कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान (Lord Hanuman) बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं. शायद यही वजह है कि आज के समय में हनुमान जी के भक्तों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है. लेकिन, क्‍या आप हनुमानजी के परिवार के बारे में जानते हैं? उनका जन्म कब हुआ था? हनुमानजी के पिता का नाम क्या है? उनकी माता का नाम क्या था? हनुमानजी परिवार के साथ कहां रहते थे? हनुमानजी के विशाल और भव्य मंदिर कहां-कहां हैं? इस बारे में News18 को बता रहे हैं गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

हनुमानजी का जन्म कब हुआ था

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हनुमान जी राम भक्त हैं और उनकी शरण में जाने मात्र से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं. ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार बजरंगबली का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था.

हनुमानजी के पिता और माता का नाम

पुराणों केअनुसार, हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थीं. हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमानजी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं.

परिवार के साथ कहां रहते थे हनुमानजी

पुराणों के अनुसार, हनुमानजी के पिता केसरी सुमेरू पर्वत पर रहते थे. हनुमानजी की मां अंजना थीं, जिनके गर्भ से वह वायुदेवता की कृपा से पैदा हुए थे. श्रीरामानंद सागर कृत धारावाहिक ‘रामायण’ में भी आपने देखा होगा कि जब वानरराज सुग्रीव और श्रीराम की मित्रता होती है और उसके बाद समस्‍त वानरसेना रावण के खिलाफ लंका की ओर कूच करती है तो हनुमानजी के पिता केसरी कहते हैं कि मैं अपने सभी पुत्रों को भगवान श्रीराम की सेवा में लगाता हूं और स्‍वयं भी उपस्थित रहूंगा.

कौन थीं पुंजिकस्थली यानी माता अंजनी

पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं. एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं. इससे गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें वानरी हो जाने का श्राप दे दिया. पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया. कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया. उनका नाम अंजनी रखा गया. विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया. इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं.

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