सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत आज, साथ ही पुत्रदा एकादशी: शुभ योग में करें पूजन और व्रत, जानें पूजा विधि
इस बार 5 अगस्त को सावन का चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. इस दिन एक और महत्वपूर्ण पर्व भी है – पुत्रदा एकादशी. जब दो शुभ तिथियां एक साथ आती हैं, तो उनका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस विशेष दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह केवल श्रद्धा का विषय नहीं, बल्कि विश्वास और पारिवारिक सौभाग्य से भी जुड़ा हुआ है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्रदा एकादशी विशेष रूप से संतान की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और रातभर जागरण करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने और प्रभु विष्णु का ध्यान करने से संतान प्राप्ति का योग बनता है और संतान सुख में वृद्धि होती है.
आज श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अवसर है जब मंगला गौरी व्रत और पुत्रदा एकादशी एक साथ पड़ रहे हैं. यह दिन सिर्फ धार्मिक कार्यों के लिए नहीं, बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए भी बहुत अहम है. अगर पूरी आस्था और सच्चे मन से व्रत किया जाए तो मनचाहा फल जरूर प्राप्त होता है.


