समुद्र से निकले 14 रत्न में से एक पारिजात वृक्ष, बेहद रोचक है इसके पृथ्वी पर आने की कथा, सत्यभामा से है संबंध

समुद्र से निकले 14 रत्न में से एक पारिजात वृक्ष, बेहद रोचक है इसके पृथ्वी पर आने की कथा, सत्यभामा से है संबंध

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पारिजात वृक्ष को देखकर सभी का मन अच्छा हो जाता है इसलिए इस वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. यह वृक्ष सभी की मन की इच्छाओं को पूरा करता है. आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं देवताओं का वृक्ष का रूप में यह वरदान कैसे मनुष्यों के लिए संजीवनी बन गया. आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा…

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पारिजात वृक्ष, जिसे हरसिंगार या नाइट जैस्मिन भी कहा जाता है, सच में एक अलौकिक और दिव्य वृक्ष है. इसका नाम सुनते ही एक सुंदर, सुगंधित और रहस्यमय पेड़ की छवि मन में उभर आती है. इसका आयुर्वेद और पुराणों में खास महत्व बताया गया है. समुद्र मंथन के समय जो चौदह रत्न निकले थे, उनमें से एक पारिजात भी था. कहते हैं कि इसे स्वर्ग में इंद्र के बगीचे में लगाया गया था और इसे छूने का अधिकार केवल अप्सरा उर्वशी को था.

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इसलिए कहा जाता है कल्पवृक्ष
पारिजात रात के समय खिलता है और सुबह होते ही अपने फूल जमीन पर बिखेर देता है. इसकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि वातावरण पूरी तरह सुगंधित हो जाता है. इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफेद फूल और केसरिया डंठल. यही वजह है कि इस वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, जो मन की इच्छाएं पूरी करने वाला माना जाता है.

सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया
कहते हैं कि जब देवर्षि नारद ने पारिजात के फूल भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को भेंट किए, तो वे इतनी प्रसन्न हुईं कि उन्होंने श्रीकृष्ण से यह वृक्ष अपनी वाटिका में लाने की जिद कर दी. इंद्र ने यह मांग ठुकरा दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने गरुड़ पर सवार होकर स्वर्ग से यह वृक्ष लाकर सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया. दिलचस्प बात यह है कि इसके फूल रुक्मिणी की वाटिका में गिरते थे. यही वजह है कि इस वृक्ष से जुड़ी कई रोचक कथाएं प्रचलित हैं.

फूल तोड़ने की मनाही
पारिजात वृक्ष दिखने में 10 से 15 फीट ऊंचा होता है और यह हजारों साल तक जीवित रह सकता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके फूल तोड़ने की मनाही है सिर्फ वही फूल उपयोग में लाए जाते हैं जो अपने आप गिर जाते हैं. यह वृक्ष ना केवल वातावरण को महकाता है बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है.

औषधीय वृक्ष है पारिजात
आयुर्वेद में पारिजात को औषधीय वृक्ष माना गया है. खासकर साइटिका यानी कमर से पैर तक के दर्द में यह बहुत कारगर है. इसके 10-15 ताजे पत्तों को पानी में उबालकर बना काढ़ा सुबह-शाम पीने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है. साथ ही यह जोड़ों के दर्द, बुखार और शरीर की थकान को भी मिटाता है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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समुद्र से निकले 14 रत्न में से एक पारिजात वृक्ष, बेहद रोचक है इसकी कथा

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