मां लक्ष्मी के इस मंदिर में हाजिरी लगाए बिना अधूरी है तिरुपति बालाजी की पूजा, जानें मान्यता

मां लक्ष्मी के इस मंदिर में हाजिरी लगाए बिना अधूरी है तिरुपति बालाजी की पूजा, जानें मान्यता

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तिरुपति बालाजी के बारे में कौन नहीं जानता. देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्त यहां भगवान की एक झलक पाने के लिए पहुंचते हैं और मनोकामना मांगते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि श्रीपद्मावती देवी मंदिर के दर्शन के बिना तिरुपति बालाजी की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं क्या है यह मान्यता…

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देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है. हिंदू धर्म में उनकी पूजा-अर्चना से आर्थिक संकट दूर होने और जीवन में सुख-शांति आने की मान्यता है. भारत में कई प्राचीन और प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिर हैं, जिनमें से एक प्रमुख मंदिर है, श्रीपद्मावती देवी मंदिर. यह मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति के पास तिरुचुनूर नामक छोटे से गांव में स्थित है और यहां मां लक्ष्मी को पद्मावती माता के रूप में पूजा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी के इस मंदिर में हाजिरी लगाए बिना तिरुपति बालाजी की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर का श्रीपद्मावती देवी मंदिर से क्या संबंध है…

मंदिर को लेकर पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पद्मावती देवी का जन्म पद्म सरोवर नामक पवित्र झील से हुआ था. इसी स्थान पर यह मंदिर स्थापित किया गया है. मान्यता है कि विष्णु भगवान, जिन्हें तिरुपति बालाजी के रूप में पूजा जाता है, ने पद्मावती देवी से विवाह किया था. आज भी मंदिर में भव्य रीति-रिवाज के साथ दोनों के विवाह का उत्सव मनाया जाता है और इसे अत्यंत शुभ दिन माना जाता है.

तिरुपति बालाजी के बाद जाएं श्रीपद्मावती देवी मंदिर
श्रीपद्मावती देवी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं. इस मंदिर का आस्था और महत्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से बहुत अधिक है. तिरुपति बालाजी के मंदिर की तरह, श्रीपद्मावती देवी मंदिर भी भक्तों से सालभर भरा रहता है. मान्यता के अनुसार, तिरुपति बालाजी के मंदिर में अगर कोई मुराद मांगता है तो उसे श्रीपद्मावती देवी का भी आशीर्वाद प्राप्त करना जरूरी होता है, इसीलिए भक्त दोनों मंदिरों में दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं.

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सभी मनोकामना होती हैं पूरी
पवित्र दिन पर इस मंदिर का विशेष महत्व होता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु यहां आकर देवी पद्मावती के दर्शन करते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं. इस मंदिर की यात्रा और पूजा-अर्चना को धन और वैभव प्राप्ति का माध्यम माना जाता है. श्रीपद्मावती देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का भी केंद्र है. यह मंदिर तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर तिरुचुनूर में स्थित है और यहां की धार्मिक मान्यताएं तथा सांस्कृतिक परंपराएं आज भी जीवित हैं. भक्तों का विश्वास है कि यहां की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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मां लक्ष्मी के इस मंदिर में हाजिरी लगाए बिना अधूरी है तिरुपति बालाजी की पूजा

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