भारत के 10 अनोखे मंदिर, जहां प्रसाद में चढ़ता है मांस, मछली और शराब! सालों-साल भक्तों का लगा रहता है मेला

भारत के 10 अनोखे मंदिर, जहां प्रसाद में चढ़ता है मांस, मछली और शराब! सालों-साल भक्तों का लगा रहता है मेला

9 Femous Temple For Nonvegetarion Prasad: भारत विविधताओं का देश है क्योंकि यहां के लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं. विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं, अलग-अलग त्योहार मनाते हैं, भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं और अलग-अलग पहनावा पहनते हैं. इतना ही नहीं, भारत में लोग देवी-देवताओं की निष्ठा से पूजा भी करते हैं. यहां हर कुछ किलोमीटर पर संस्कृति बदल जाती है और हर जगह की अपनी मान्यताएं होती हैं. इन मान्यताओं के कारण लोग देवी-देवताओं को कुछ विशेष बलिदान देते हैं. यानी उन्हें मांस, मछली और शराब चढ़ाते हैं. उनका मानना है कि ऐसा करने से देवगण प्रसन्न होते हैं. टीआईओ की रिपोर्ट के मुताबिक, पकाने के बाद यह प्रसाद स्वरूप मंदिर के भक्तों में वितरित किया जाता है. आइए जानते हैं ऐसे ही 5 अनोखे मंदिरों के बारे में, जहां प्रसाद में चढ़ता है मांस, मछली और शराब-

भारत के 9 मंदिर जहां प्रसाद में चढ़ता है मांस, मछली और शराब

मुनियंडी स्वामी मंदिर: मदुरै, तमिलनाडु के एक छोटे से गांव वडक्कमपट्टी में स्थित इस मंदिर में भगवान मुनियादी के सम्मान में एक अनोखा 3-दिवसीय वार्षिक उत्सव आयोजित किया जाता है. मुनियादी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं. इस मंदिर में प्रसाद के रूप में चिकन और मटन बिरयानी दी जाती है और लोग सुबह के नाश्ते के लिए बिरयानी खाने के लिए मंदिर में आते हैं.

विमला मंदिर: देवी विमला या बिमला (दुर्गा का अवतार) को दुर्गा पूजा के दौरान मांस और मछली का प्रसाद चढ़ाया जाता है. यह मंदिर पुरी, ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर स्थित है और इसे शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान, पवित्र मार्कंडा मंदिर तालाब से मछली पकाई जाती है और देवी बिमला को चढ़ाई जाती है. इसके अलावा, इन दिनों सुबह से पहले बलि दी गई ‘बकरा’ को पकाया जाता है और देवी को चढ़ाया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि यह सब भगवान जगन्नाथ के मुख्य द्वार खुलने से पहले होता है.

तर्कुलहा देवी मंदिर: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित इस मंदिर में हर साल एक वार्षिक खिचड़ी मेला आयोजित किया जाता है. यह मंदिर लोगों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए काफी प्रसिद्ध है. देश भर से लोग चैत्र नवरात्रि में इस मंदिर में आते हैं और अपनी इच्छा पूरी होने पर देवी को बकरा चढ़ाते हैं. इस मांस को मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

कामाख्या मंदिर: कामाख्या देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है. जो असम की नीलाचल पहाड़ियों में स्थित है और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है. यह मंदिर दुनियाभर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां माता के भक्त उन्हें प्रसाद में मांस और मछली अर्पित करते हैं. जिसे बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

तारापीठ: बंगाल में बीरभूम में तारापीठ मंदिर दुर्गा भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है. यहां लोग मांस की बलि चढ़ाते हैं, जिसे शराब के साथ देवी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है. जो बाद में भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.

काल भैरव मंदिर: ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी के मुताबिक, काल भैरव मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है. यह एक अनोखी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ काल भैरव मंदिरों में, शराब मुख्य प्रसाद है, जो बाद में भक्तों द्वारा ग्रहण की जाती है. दरअसल, काल भैरव को तामसिक प्रवृत्ति का देवता माना जाता है, और इसलिए उन्हें शराब का भोग लगाया जाता है.

कालीघाट मंदिर: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है और 200 साल पुराना है. ज्यादातर भक्त देवी काली को प्रसन्न करने के लिए यहां बकरे की बलि देते हैं. जिसे बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है.

मुनियांदी स्वामी मंदिर: तमिलनाडु के मदुरई में स्थित मुनियांदी स्वामी मंदिर अपने मांसाहारी प्रसाद के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान मुनियांदी, ( जिसे भगवान शिव का अवतार माना जाता है) को प्रसाद के रूप में चिकन और मटन बिरयानी चढ़ाई जाती है. इसके बाद इसी बिरयानी को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.

परस्सिनिक कदवु मंदिर, केरल: यह मंदिर भगवान मुथप्पन को समर्पित है, जो भगवान विष्णु और शिव के अवतार माने जाते हैं. दक्षिण में उन्हें कई नामों से जाना जाता है और उनकी पूजा की जाती है. अधिकांश प्रसादों में, मछली और ताड़ी भगवान मुथप्पन को चढ़ाई जाती है और कहा जाता है कि ऐसा करने से इच्छाएं पूरी होती हैं. यह प्रसाद मंदिर में आने वाले भक्तों को दिया जाता है.

Source link

Previous post

16 सोमवार व्रत का रहस्य: जानिए कैसे भगवान भोलेनाथ की कृपा से बदल सकता है भाग्य, जानें व्रत की सही विधि और महत्व

Next post

अगर नहीं मिल रहा प्यार, पैसा और सुकून तो आजमाएं ये 5 सिद्ध और सरल आध्यात्मिक उपाय, बदल सकती है जिंदगी की दिशा

You May Have Missed