पितृ दोष और सर्प दोष से मुक्ति के लिए यहां तीन दिन चलती है नारायण नागबली पूजा, त्रिदेव एक जगह रहते हैं मौजूद
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Trimbakeshwar Pitra Dosh Nivaran Pooja: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पितृपक्ष के दौरान किया गया श्राद्ध और पिंडदान सकल पितरों की मुक्ति, कुल की उन्नति और पितृ ऋण से मुक्ति प्रदान करता है. पितृपक्ष में लाखों श्रद्धालु यहां आकर पिंडदान, तर्पण और त्रिपिंडी श्राद्ध करते हैं. कहा गया है कि जो पितृ अशांत हैं या जिनका श्राद्ध समय पर नहीं हो पाया, उनका श्राद्ध यहाँ करने से वे शांत होकर आशीर्वाद देते हैं.

नारायण नागबली पूजा का महत्व
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन मुख हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में पूजे जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि शिवलिंग में हमेशा गोदावरी का पानी आता रहता है. दर्शन के अलावा यहां बड़ी संख्या में लोग नारायण नागबली पूजा करवाने के लिए भी आते हैं. नारायण नागबली पूजा एक तीन दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है, जो उन आत्माओं की शांति और मुक्ति के लिए किया जाता है, जिनके परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो, जैसे दुर्घटना, आत्महत्या या गंभीर बीमारी से.
यह अनुष्ठान मृत व्यक्ति की अधूरी इच्छाओं को भी पूरा करने में मदद करता है, जिससे उन्हें हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है. साथ ही यह पूजा नागों (सर्पों) की हत्या, चाहे वह अनजाने में ही क्यों न हुई हो, के दोष से भी मुक्ति दिलाने के लिए करवाई जाती है. इसमें सर्प की मूर्ति बनाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे नाग दोष समाप्त हो.
तीन दिन होती है पूजा
नारायण नागबली पूजा तीन दिनों तक चलती है, जिसमें पहले नारायण बली पूजा होती है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है और दूसरी नागबली, जो सर्प दोष से मुक्ति के लिए की जाती है. अमावस्या और पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) में यह पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. हालांकि, पूरे वर्ष में यह पूजा कभी भी कराई जा सकती है.
पितृ पक्ष में है विशेष महत्व
त्र्यंबकेश्वर में कई अनुभवी और प्रमाणित पुरोहित हैं, जो यह पूजा विधिपूर्वक कराते हैं. इस पूजा में गेहूं के आटे से बने सांप के शरीर का उपयोग किया जाता है, जिस पर मंत्रों का जाप करते हुए अंतिम संस्कार किया जाता है. पूजा के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा दी जाती है. गरुड़ पुराण और अन्य ग्रंथों में वर्णन है कि यहां श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को तुरंत तृप्ति मिलती है और वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं. इसे पितृ कर्म के लिए काशी के समान माना गया है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें