पारंपरिक काली साड़ी और सिर पर सफेद गठरी, राष्ट्रपति मुर्मू ने चढ़ीं भगवान अयप्पा की पवित्र 18 सीढ़ियां, क्या रखते हैं इस पोटली में?
What is Irumudi Bundle : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 अक्टूबर 2025 को केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन किए. इस ऐतिहासिक अवसर ने देशभर में चर्चा पैदा कर दी क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महिला राष्ट्रपति ने इस मंदिर में प्रवेश कर पूजा की. यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक ऐसा क्षण था जिसने आस्था, परंपरा और सामाजिक बदलाव के बीच एक नया अध्याय जोड़ा. सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा के लिए विशेष नियम होते हैं, जिनमें से एक यह है कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. इस परंपरा को लेकर लंबे समय से विवाद चलता रहा है. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में इस परंपरा को असंवैधानिक बताया था, लेकिन इसके बाद भी मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच इसे लेकर मतभेद बने रहे. ऐसे में राष्ट्रपति का यह दौरा केवल एक धार्मिक क्रिया न होकर, सामाजिक स्तर पर भी एक साहसिक कदम माना जा रहा है.
राष्ट्रपति मुर्मू बुधवार सुबह हेलीकॉप्टर से केरल के पंबा पहुंचीं. वहां पहुंचने पर उन्होंने पंबा नदी में अपने पैर धोकर आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने पास के गणपति मंदिर में पूजा की और फिर ‘केट्टुनिरा मंडपम’ में पारंपरिक काली साड़ी पहनकर ‘इरुमुडी’ तैयार करवाया.
इरुमुडी एक विशेष प्रकार की पोटली होती है, जिसे भक्त अपने सिर पर रखकर मंदिर की ओर बढ़ते हैं. इस पोटली में दो भाग होते हैं – आगे वाले भाग में भगवान को चढ़ाने के लिए प्रसाद और पीछे वाले में यात्रा के जरूरी सामान रखे जाते हैं. इस पोटली में नारियल में घी भरकर रखना सबसे अहम माना जाता है. भक्तों के लिए यह पोटली केवल पूजा का सामान नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक होती है.
18 पवित्र सीढ़ियों की चढ़ाई
भगवान अयप्पा के मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी होती हैं. यह सीढ़ियां केवल वही चढ़ सकता है, जो सिर पर इरुमुडी रखता हो. राष्ट्रपति मुर्मू ने भी इसी परंपरा का पालन किया. वे सिर पर इरुमुडी रखकर मंदिर की सीढ़ियां चढ़ीं और भगवान के दर्शन किए.
उनके साथ उनके दामाद, सुरक्षा अधिकारी और एडीसी भी मौजूद थे, जिन्हें भी पवित्र पोटली दी गई थी. मंदिर पहुंचने पर देवस्वम बोर्ड के मंत्री और अन्य पदाधिकारियों ने पारंपरिक विधि से उनका स्वागत किया. तंत्री (मुख्य पुजारी) ने उन्हें ‘पूर्ण कुंभ’ के साथ दर्शन की विधि पूरी करवाई.
दर्शन का विशेष क्षण
मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर राष्ट्रपति ने सिर पर पवित्र गठरी रखकर भगवान अयप्पा को नमन किया. इसके बाद उन्होंने अपनी पोटली मंदिर की सीढ़ियों पर रख दी, जिसे पुजारी ने पूजा के लिए ले लिया. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में विशेष सुरक्षा व्यवस्था थी और श्रद्धालुओं का प्रवेश कुछ समय के लिए रोक दिया गया था.
पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरि के बाद दूसरी यात्रा
इससे पहले केवल एक बार, 1970 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने इस मंदिर में दर्शन किए थे. वे डोली में बैठकर मंदिर तक पहुंचे थे. राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा इस मायने में भी खास रही कि उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पूरी तरह पालन किया और सिर पर इरुमुडी रखकर पैदल 4.5 किलोमीटर की कठिन यात्रा भी की.

दर्शन के बाद विश्राम और आगे की योजना
मंदिर में पूजा के बाद राष्ट्रपति आसपास के कुछ अन्य मंदिरों में भी दर्शन करने गईं. फिर वे दोपहर के भोजन और विश्राम के लिए देवस्वम बोर्ड के गेस्टहाउस लौट आईं. यात्रा पूरी होने तक सुरक्षा के खास इंतजाम रहे और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं के प्रवेश पर अस्थायी रोक लगाई.