‘जमाई राजा राम मिला’ ने बनाया था दिव्य माहौल, इंद्रेश उपाध्याय की शादी में मायरा का रंग, मान्या अरोड़ा के भजनों ने बढ़ाई रस्म की रौनक

‘जमाई राजा राम मिला’ ने बनाया था दिव्य माहौल, इंद्रेश उपाध्याय की शादी में मायरा का रंग, मान्या अरोड़ा के भजनों ने बढ़ाई रस्म की रौनक

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Indresh Upadhyay Wedding : इंद्रेश उपाध्याय की मायरा रस्म जयपुर में भक्ति और उत्साह के बीच संपन्न हुई. शोभायात्रा, ठाकुर जी की पालकी और मान्या अरोड़ा की भजन प्रस्तुति ने इस रस्म को बेहद खास बनाया. मान्या की आवाज ने माहौल को आध्यात्मिक और यादगार अनुभव में बदल दिया.

इंद्रेश उपाध्याय मायरा रस्म

Indresh Upadhyay Wedding : प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय की शादी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. उनकी रस्मों का आयोजन जयपुर में हो रहा है, जहां हर पल रंग, संगीत और भक्ति से भरा दिख रहा है. गुरुवार को उनकी शादी की शुरुआत पारंपरिक मायरा रस्म से हुई, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. इस मौके की खास पहचान न सिर्फ शोभायात्रा रही बल्कि वह पल भी बहुत भावुक था जब इंद्रेश उपाध्याय खुद ठाकुर जी की पालकी कंधे पर उठाकर चलते दिखे. पूरा माहौल भक्ति और खुशी से भरा हुआ था. इस रस्म को और memorable बना दिया मशहूर भजन गायिका मान्या अरोड़ा ने, जिन्होंने अपने भजनों से कार्यक्रम को आध्यात्मिक रंग दे दिया. उनका गाया लोकप्रिय भजन ‘जमाई राजा राम मिला’ पूरे माहौल को दिव्यता से भर गया और हर मौजूद व्यक्ति इस प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध दिखा.

इंद्रेश उपाध्याय की शादी की रस्में जयपुर में पूरे उत्साह और भक्ति के माहौल में जारी हैं. पारंपरिक मायरा रस्म के लिए ताज आमेर होटल से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई. गाजे-बाजे की धुनों के बीच इंद्रेश का परिवार इस रस्म के लिए पहुंचा. शोभायात्रा की सबसे खास बात थी कि इंद्रेश खुद ठाकुर जी की पालकी कंधे पर उठाकर आगे बढ़ रहे थे. दूसरी ओर उनके माता-पिता विंटेज कार में बैठे नजर आए, जिससे रस्म का पूरा दृश्य बेहद खास बन गया.

राजस्थान में मायरा एक भावुक और सम्मान से जुड़ी रस्म मानी जाती है, जहां मामा अपनी बहन के परिवार को उपहार देकर इस खुशी में अपना योगदान देता है. इस रस्म को अलग पहचान मिली जब मंच पर पहुंचीं लोकप्रिय भजन गायिका मान्या अरोड़ा. उनकी मधुर और साफ आवाज़ ने माहौल को भक्तिमय बना दिया. उन्होंने ‘जमाई राजा राम मिला…’ जैसे भजनों से हर मौजूद शख्स का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. लोगों में उनकी प्रस्तुति को लेकर खास उत्साह था और उनके भजनों ने माहौल की पवित्रता को कई गुना बढ़ा दिया.

इंद्रेश और शिप्रा की हल्दी-मेहंदी रस्म को ‘किलोल कुंज (मेला)’ का नाम दिया गया है. किलोल कुंज को ऐसा स्थान माना जाता है जहां संगीत, प्रकृति और भक्ति का मेल होता है. इस मौके पर देशभर से पहुंचे संत-महात्माओं ने भी रस्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इससे पूरे आयोजन का सम्मान और भी बढ़ गया.

अब बात करें मान्या अरोड़ा की, तो वे भजन और सूफी संगीत के क्षेत्र में एक चर्चित नाम हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में पढ़ाई के बाद उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से संगीत में मास्टर किया. पढ़ाई के साथ उन्होंने संगीत को अपना करियर बनाया और जल्द ही सोशल मीडिया पर अपनी गायकी के कारण लोकप्रिय हो गईं. उनके भजन, सूफी गीत और देशभक्ति प्रस्तुतियाँ विभिन्न प्लेटफॉर्म पर खूब पसंद की जाती हैं.

मान्या देशभर में कई धार्मिक आयोजनों में प्रस्तुति दे चुकी हैं. उनकी आवाज में भक्ति की खास गहराई दिखाई देती है, जो किसी भी रस्म को आध्यात्मिक रंग दे देती है. यही वजह है कि इंद्रेश उपाध्याय की मायरा रस्म के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया. उनकी मौजूदगी ने इस समारोह को यादगार बना दिया और हर व्यक्ति के मन में एक शांत और पवित्र भाव छोड़ गया.

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Keerti Rajpoot

मीडिया की दुनिया में मेरा सफर एक रेडियो जॉकी के रूप में शुरू हुआ था, जहां शब्दों की ताकत से श्रोताओं के दिलों तक पहुंच बनाना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही. माइक के पीछे की यह जादुई दुनिया ही थी जिसने मुझे इलेक्ट्र…और पढ़ें

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