केरल का वो मंदिर, जहां 8 स्वरूप में विराजमान शिव, साढ़े सात स्वर्ण हाथियों के कारण बेहद फेमस

केरल का वो मंदिर, जहां 8 स्वरूप में विराजमान शिव, साढ़े सात स्वर्ण हाथियों के कारण बेहद फेमस

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Ettumanoor Mahadeva Mandir: वैसे तो देशभर में आपने कई शिवजी के मंदिरों के दर्शन किए होंगे, जहां वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं लेकिन केरल में एक ऐसा शिव मंदिर हैं, जहां भगवान शिव ने अपने 8 स्वरूपों के दर्शन दिए थे. यह मंदिर अपनी वास्तु कला के लिए बेहद प्रसिद्ध है और यहां दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में…

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Ettumanoor Shri Mahadeva Temple: केरल के हरे-भरे कोट्टायम जिले में बसा एट्टुमानूर महादेव मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि जीवंत आस्था, प्राचीन कला, भक्ति और शाही चित्रण का अनुपम संगम है. कथा मिलती है कि यहां महादेव आठ अलग-अलग दिव्य रूपों में प्रकट हुए थे. सदियों पुराना यह शिवधाम ना केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि अद्भुत द्रविड़ वास्तुकला, भित्तिचित्रों और विश्व प्रसिद्ध एझरा पोन्नाना यानी साढ़े सात स्वर्ण हाथियों के कारण भी प्रसिद्ध है. यह मंदिर की वास्तु कला देखकर आप पूरी तरह मंत्र मुग्ध हो जाएंगे. मान्यता है कि इस मंदिर में महादेव के दर्शन करने के बाद सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और हर कार्यों में सफलता मिलती है. आइए जानते हैं महादेव के इस खास मंदिर के बारे में…

यहां दिए थे भगवान शिव ने दर्शन
केरल पर्यटन विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट पर एट्टुमानूर महादेव मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है. मंदिर का नाम ही इसकी रहस्यमयी कहानी कहता है, ‘एट्टु’ यानी आठ और ‘मानम’ यानी दिव्य रूप. मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव ने यहां अपने आठ अलग-अलग रूपों में दर्शन दिए थे, इसी कारण इस पवित्र भूमि का नाम एट्टुमानूर पड़ा. 1542 ईस्वी में फिर से बने इस भव्य मंदिर को देखकर श्रद्धालु हैरत में डूब जाते हैं. ऊंचा गोपुरम, किले जैसी मजबूत दीवारें, तांबे की चादरों से ढकी छतें और 14 अलंकृत शिखर, हर कोना अद्भुत इंजीनियरिंग का प्रमाण देता है.

यहां भारत के सर्वश्रेष्ठ भित्तिचित्र
मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही दीवारों पर बने द्रविड़ शैली के भित्तिचित्र मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी हैं. इनमें सबसे प्रसिद्ध है भगवान शिव का प्रदोष नृत्य चित्र, जिसे भारत के सर्वश्रेष्ठ भित्तिचित्रों में गिना जाता है. स्वर्ण ध्वजस्तंभ पर बैठी नंदी की मूर्ति, घंटियों से सजी हुई है. हालांकि, इस मंदिर की असली पहचान है, एझरा पोन्नाना यानी साढ़े सात स्वर्ण हाथी! कटहल की लकड़ी से तराशी गई ये कलात्मक मूर्तियां (सात बड़ी और एक आधी आकार की) कुल 13 किलोग्राम शुद्ध सोने से ढकी हुई हैं.

हर साल निकलता है सोने से सजे स्वर्ण हाथियों का भव्य जुलूस
जानकारी मिलती है कि त्रावणकोर के शासक अनिझम थिरुनल मार्तंडा ने इन मूर्तियों को भेंट करने का संकल्प लिया था, जिसे उनके उत्तराधिकारी महाराजा कार्तिका थिरुनल ने पूरा किया. वर्ष में एक बार, कुंभम महीने (फरवरी-मार्च) के दस दिवसीय उत्सव के आठवें दिन आधी रात को स्वर्ण हाथी भक्तों को दर्शन देते हैं. हर साल 13 किलोग्राम सोने से सजे स्वर्ण हाथियों का भव्य जुलूस निकलता है.

यहीं पांडवों ने की थी प्रार्थना
प्राचीन कथाएं बताती हैं कि यहीं पांडवों ने प्रार्थना की थी और महर्षि व्यास ने तपस्या की थी. मुख्य शिवलिंग के अलावा यहां भगवती, दक्षिणामूर्ति गणपति, यक्षी और भगवान कृष्ण का भी मंदिर है. एट्टुमानूर मंदिर पहुंचना आसान है, यह मंदिर कोट्टायम से मात्र 12 किमी और एर्नाकुलम से 54 किमी दूर है. मंदिर आने वाले भक्तों को पारंपरिक वस्त्र पहनना अनिवार्य है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

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केरल का इस मंदिर में 8 स्वरूप में शिवजी, साढ़े सात स्वर्ण हाथियों से बेहद फेमस

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