कला, धन और परिवारिक सुख की कुंजी बन जाता है, दूसरे भाव में शुक्र का होना, देता है मीठी बोली, सुंदरता और धन-संपत्ति
Venus In Second House: जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह को सौंदर्य, सुख, प्रेम, वैभव, कला, और भौतिक सुखों का कारक माना जाता है. जब यह ग्रह किसी व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है, तो जीवन में आकर्षण, शोहरत, और आर्थिक स्थिरता अपने आप आ जाती है, लेकिन जब यही शुक्र अशुभ स्थिति में होता है या गलत भाव में बैठता है, तो जीवन में उलझनें बढ़ जाती हैं. आज हम बात करेंगे उस स्थिति की जब शुक्र ग्रह दूसरे भाव में बैठा हो. दूसरा भाव ज्योतिष में धन, वाणी, परिवार और बचत से जुड़ा माना गया है. यह भाव दिखाता है कि इंसान अपने संसाधनों को कैसे इस्तेमाल करता है, परिवार में उसकी क्या भूमिका रहती है और उसकी बोलचाल का असर लोगों पर कैसा पड़ता है. जब शुक्र इस भाव में आता है, तो इंसान की भाषा में मिठास, पहनावे में निखार और पैसे से जुड़ी समझ बढ़ जाती है. मगर, अगर शुक्र नीच राशि में या पाप ग्रहों के साथ बैठा हो तो इसका असर बिल्कुल उलटा भी पड़ सकता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से विस्तार से कि शुक्र के दूसरे भाव में होने से क्या अच्छे और बुरे फल मिलते हैं और किन उपायों से इसके दोषों को कम किया जा सकता है.
1. मीठी वाणी और आकर्षक व्यक्तित्व
जब शुक्र इस भाव में शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति बहुत ही मीठा बोलने वाला होता है. उसकी आवाज़ में ऐसा जादू होता है कि लोग उसकी बातों से तुरंत प्रभावित हो जाते हैं.
2. धन-संपत्ति में वृद्धि
दूसरा भाव धन का प्रतिनिधित्व करता है. शुक्र के मजबूत होने पर व्यक्ति को अचानक आर्थिक लाभ मिलता है, जैसे कारोबार में बढ़त या परिवार से आर्थिक सहयोग.
3. कला और संगीत में रुचि
ऐसे लोगों में कला, संगीत, फैशन, डिजाइनिंग या फिल्म जगत की ओर खास झुकाव रहता है. उन्हें सुंदर चीज़ों से लगाव होता है और उनमें स्वाभाविक क्रिएटिविटी होती है.
4. परिवारिक सुख
शुक्र अगर शुभ हो, तो व्यक्ति अपने परिवार से गहरा जुड़ाव रखता है. परिवार के लोग उसका सम्मान करते हैं और घर में हमेशा प्रेम व सामंजस्य बना रहता है.
5. भोजन और विलासिता का शौक
यह स्थिति व्यक्ति को अच्छे खाने और आरामदायक जीवन का शौकीन बना देती है. ऐसे लोग अपने घर को सजाने और सुंदर चीज़ों को संजोकर रखने में माहिर होते हैं.
दूसरे भाव में शुक्र के नकारात्मक प्रभाव
1. अति भोग और खर्चीली प्रवृत्ति
जब शुक्र पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यक्ति जरूरत से ज़्यादा खर्च करने लगता है. विलासिता की चाह में बचत खत्म हो जाती है.
2. पारिवारिक मतभेद
अशुभ शुक्र होने पर परिवार में आपसी रिश्ते बिगड़ सकते हैं. बोलचाल में कड़वाहट आ जाती है जिससे विवाद बढ़ते हैं.
3. प्रेम संबंधों में अस्थिरता
ऐसे जातक प्रेम में जल्दी पड़ जाते हैं लेकिन रिश्ते लंबे समय तक नहीं टिकते. भावनाओं में बहकर गलत फैसले ले लेते हैं.
4. भोजन और आदतों में अति
ज्यादा मीठा या अस्वस्थ खानपान शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. मोटापा या त्वचा संबंधी परेशानी भी देखी जाती है.
5. स्वार्थी प्रवृत्ति
कुछ मामलों में यह व्यक्ति को दिखावे का शौकीन और आत्मकेंद्रित बना देता है. दूसरों की भावनाओं की परवाह कम होती है.
शुक्र के दोष दूर करने के उपाय
1. शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें और दुग्ध का दान करें.
2. शुक्र मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का रोज 108 बार जाप करें.
3. शिवलिंग पर सफेद फूल या दूध चढ़ाएं.
4. घर में सुगंधित अगरबत्ती जलाएं और वातावरण को खुशबूदार रखें.
5. शुक्र से जुड़े रत्न ‘हीरा’ या ‘ओपल’ योग्य ज्योतिष सलाह के बाद धारण करें.
6. माता-पिता और जीवनसाथी का सम्मान करें, क्योंकि शुक्र का बल प्रेम और रिश्तों से बढ़ता है.


