करवा चौथ में पत्नी पति के पैर क्यों छूती है? मॉर्डन एज में क्या अब भी ऐसा करना चाहिए, पंडित जी से जान लीजिए सच्चाई
Karwa Chauth 2025 : करवा चौथ का त्योहार भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे जीवन की कामना करते हुए व्रत रखती है. यह व्रत सूर्योदय से चंद्रमा निकलने तक चलता है. जब रात में चांद निकलता है, तो पत्नी चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति को देखकर व्रत तोड़ती है. इसी के साथ एक खास रिवाज देखने को मिलता है – पत्नी अपने पति के पैर छूती है. अब सवाल उठता है कि आख़िर इस परंपरा की शुरुआत कहां से हुई और क्या आज के समय में, जब महिलाएं आत्मनिर्भर और शिक्षित हैं, तब भी इस परंपरा को निभाना चाहिए? क्या यह सिर्फ एक रस्म है या इसके पीछे कोई गहरी सोच छुपी है?
पैर छूने के पीछे की सोच क्या है?
1. सम्मान और आभार का इज़हार
भारतीय समाज में यह माना जाता है कि जब कोई किसी के पैर छूता है, तो वह उसके प्रति अपना आदर और कृतज्ञता व्यक्त करता है. करवा चौथ पर पत्नी अपने पति के पैर छूकर यह जताती है कि वह अपने जीवनसाथी का सम्मान करती है और उनके साथ की सराहना करती है.
2. आशीर्वाद लेने की भावना
पैर छूने का एक मकसद यह भी होता है कि सामने वाले का आशीर्वाद मिले. यह मान्यता है कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाने के लिए बड़ों या जीवनसाथी का आशीर्वाद लेना लाभदायक होता है.
3. भावनात्मक जुड़ाव का तरीका
करवा चौथ का दिन सिर्फ उपवास रखने का नहीं होता, बल्कि यह उस रिश्ते की गहराई को महसूस करने का मौका भी होता है. जब पत्नी पति के पैर छूती है, तो वह अपने जुड़ाव और समर्पण को दर्शाती है, जिससे रिश्ते में और मजबूती आती है.
4. धार्मिक मान्यताएं और प्रतीकात्मक अर्थ
कुछ मान्यताओं के अनुसार, पुरुष के पैरों में शुक्र का वास होता है और स्त्री के पैरों में लक्ष्मी का. जब पत्नी पति के पैर छूती है, तो यह शुभ ऊर्जा के आदान-प्रदान का प्रतीक माना जाता है. यह धन और सुख के आने का संकेत भी हो सकता है.
क्या आज के समय में भी यह करना ज़रूरी है?
1. बदलती सोच और नई पीढ़ी की राय
आजकल महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. वे अपने जीवनसाथी के साथ बराबरी का रिश्ता चाहती हैं. ऐसे में बहुत से लोग मानते हैं कि सिर्फ पत्नी ही क्यों पैर छुए, पति भी अपनी पत्नी का सम्मान करें.
2. परंपरा बनाम व्यक्तिगत इच्छा
अब यह पूरी तरह से व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है. कुछ महिलाएं खुशी से यह परंपरा निभाती हैं, तो कुछ इसे ज़रूरी नहीं मानतीं. दोनों ही सोच सही हैं, क्योंकि रिश्तों में सबसे जरूरी है आपसी समझ और संतुलन.

पंडित जी की राय क्या है?
पंडितों और धार्मिक जानकारों का मानना है कि किसी भी परंपरा को तभी निभाना चाहिए, जब वह दिल से की जाए. जबरदस्ती या दिखावे के लिए की गई रस्में रिश्तों में बोझ बन सकती हैं. उनका कहना है कि अगर पत्नी अपने पति के पैर छूती है और दोनों इसे एक भावनात्मक जुड़ाव के रूप में देखते हैं, तो यह रिश्ता और मजबूत होता है. लेकिन अगर कोई इसे पुराने जमाने की सोच मानकर नहीं करना चाहता, तो यह भी पूरी तरह सही है. इस परंपरा को निभाना या न निभाना कोई धर्म विरोधी काम नहीं है.
-करवा चौथ पर पत्नी द्वारा पति के पैर छूना एक सांस्कृतिक परंपरा है, जो भावनात्मक जुड़ाव, सम्मान और आशीर्वाद का प्रतीक है. आज के दौर में यह अनिवार्य नहीं है, बल्कि एक व्यक्तिगत निर्णय है, जो पति-पत्नी के आपसी रिश्ते और सोच पर निर्भर करता है.


