चंद्रमा को मामा ही क्यों कहते हैं? फूफा, मौसा या फिर नाना क्यों नहीं, पंडितजी से जानिए क्या है पौराणिक कथा

चंद्रमा को मामा ही क्यों कहते हैं? फूफा, मौसा या फिर नाना क्यों नहीं, पंडितजी से जानिए क्या है पौराणिक कथा

Last Updated:

चंद्रमा को ‘चंदा मामा’ इसलिए कहते हैं क्योंकि पौराणिक कथाओं में वह मां लक्ष्मी के भाई माने जाते हैं. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा और लक्ष्मी की पूजा भी होती है.

ख़बरें फटाफट

जानिए, चंद्रमा को मामा ही क्यों कहा जाता है. (AI)

‘चंदा मामा दूर के…’ या चंदा मामा सो गए…, ऐसी तमाम पंक्तियों में चंद्रमा को मामा कहा गया है. आज भी नर्सरी बच्चों को यही सिखाया जाता है. लेकिन चंद्रमा को मामा ही क्यों कहते हैं. यह सवाल कई लोगों का होता है. एक मॉक इंटरव्यू के दौरान विकास दिव्यकीर्ति ने भी UPSC कैंडिडेट से यही पूछा था. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर विकास ने बताया था कि ये हमारे समाज पर एक टिप्पणी है. लेकिन, आपको बता दें कि चंद्रमा को मामा कहने के पीछे धार्मिक कारण जरूर है. चंद्रमा का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से बताया गया है. ऐसे सवाल है कि आखिर, चंद्रमा को मामा ही क्यों कहते हैं? मां लक्ष्मी और चंद्रमा क्या है संबंध? चंद्रमा को मामा कहने की पौराणिक कथा क्या है? इस बारे में News18 को बता रहे नोएडा के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

चंद्रमा को मामा कहने की वजह

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, चंद्रमा को ‘चंदा मामा’ कहने के पीछे धार्मिक और भौगोलिक कारण हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले तत्वों में मां लक्ष्मी और चंद्रमा भी थे. ऐसे में मां लक्ष्मी के भाई होने के कारण चंद्रमा मामा कहलाए, क्योंकि हम सभी लक्ष्मी को मां मानते हैं. अगर भौगोलिक रूप से देखें तो, चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर लगातार चक्कर लगाता है. पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सौर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. एक तरह से दोनों ट्विंस हैं, इसलिए इसे मामा कहा जाता है.

मां लक्ष्मी के भाई माने जाते हैं चंद्रमा

एक अन्य कथा के अनुसार, चंद्रमा को ‘चंदा मामा’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, और हम सभी देवी लक्ष्मी को ‘मां’ के रूप में पूजते हैं. इसलिए, चंद्रमा को स्वाभाविक रूप से ‘मामा’ कहा जाता है, जो मां के भाई को दिया जाने वाला सम्मानजनक संबोधन है.

शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा

शास्त्रों की मानें तो, लक्ष्मी समृद्धि, सौंदर्य और शांति की प्रतीक हैं, जबकि चंद्रमा शीतलता, सौम्यता और मन की शांति का प्रतीक है. कई बार पूजा-पाठ और लोक परंपराओं में चंद्रमा की पूजा को धन और समृद्धि से जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों को लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक माना जाता है लोग इस दिन खीर बनाकर चाँद की रोशनी में रखते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं.

authorimg

Lalit Kumar

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क…और पढ़ें

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

चंद्रमा को मामा ही क्यों कहते हैं? फूफा, मौसा या नाना क्यों नहीं, यहां जानिए

Source link

Previous post

Weekly Horoscope 13 to 19 October 2025: मिथुन, कन्या समेत 5 राशियों का इस सप्ताह होगा भाग्योद, कोई पाएगा नौकरी तो किसी को मिलेगा सपनों का घर, गुरु गोचर से होगा लाभ

Next post

Radha Kund Snan 2025: अहोई अष्टमी के साथ कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व, जानें इस दिन क्यों लगती है राधाकुंड में स्नान की भीड़

You May Have Missed