गायत्री को मिला है श्राप, ऐसे ही नहीं करते मंत्र जाप, बनानी होती हैं 24 मुद्राएं, जानें सबसे आसान विधि

गायत्री को मिला है श्राप, ऐसे ही नहीं करते मंत्र जाप, बनानी होती हैं 24 मुद्राएं, जानें सबसे आसान विधि

गायत्री माता को वेदों की माता कहा जाता है क्योंकि उनसे ही वेदों की उत्पत्ति हुई है. स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है. विद्यार्थियों को गायत्री मंत्र के जाप की सलाह भी दी जाती है. सूर्योदय के समय भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हैं. गायत्री मंत्र का जाप करना आसान नहीं है. माता गायत्री को श्राप मिला है, उनके मंत्र का जाप करने से पूर्व आपको 24 प्रकार की मुद्राएं बनानी पड़ती हैं या फिर उसके अन्य उपाय करने होते हैं, तभी गायत्री मंत्र का जाप फलित होता है.

तीन लोगों ने मां गायत्री को दिया था श्राप

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि बताते हैं कि ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र ने गायत्री को श्राप दिया था. मान्यताओं के अनुसार, उस समय में गायत्री मंत्र का दुरुपयोग किया जाता था. इससे समाज में कई प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगीं. तब गायत्री मंत्र को श्राप देकर उसके प्रभाव को कम कर दिया गया. गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए पहले उसे श्राप मुक्त करते हैं.

गायत्री मंत्र जाप की विधि

1. 24 मुद्राएं करने पर गायत्री मंत्र जप का अधिकार मिलेगा
कैलाशानंद गिरि बताते हैं कि ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र इन 3 ऋषियों के द्वारा श्रापति है गायत्री. गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले उत्कीलन करो. उत्कीलन करने का मतलब है कि किसी भी मंत्र को श्राप या बंधन से मुक्त करना. तभी उस मंत्र का जाप प्रभावशाली होगा.

सबसे पहले पद्मासन में बैठो. पद्मासन में बैठ करके जब गायत्री का उत्कीलन करेंगे और सुखम, संपुटम् जैसी 24 मुद्राएं करेंगे. तब जाकर आपको गायत्री मंत्र का जाप करने का अधिकार प्राप्त होगा.

2. 28 और 8 मुद्राएं करने पर आपको बोलने का अधिकार होगा
कैलाशानंद गिरि के अनुसार, जब आप गायत्री मंत्र का जाप कर लेंगे, तो आपको 28 मुद्राएं करेंगे, और फिर 8 मुद्राएं करेंगे, तब जाकर आपको बोलने का अधिकार प्राप्त होगा. उससे पहले आपको मौन रहना चाहिए.

गायत्री मंत्र जाप की आसान विधि

कैलाशानंद गिरि बताते हैं कि आमजन को गायत्री मंत्र जपने के लिए मुद्राएं नहीं आती हैं तो आपको कम से कम 3 बार आचमन करना चाहिए. उस दौरान ओम केशवाय नम: ओम नारायणाय नम: ओम माधवाय नम: हस्त प्रच्छालाय ऋषिकेशाय नम: पढ़ना चाहिए.

उसके बाद ओम ब्रह्म शापाद विमुक्ताभव, ओम वशिष्ठ शापाद विमुक्ताभव, ओम विश्वामित्र शापाद विमुक्ताभव. ऐसे केवल 3 बार इतना बोल दो आप. उसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करो. इस विधि से गायत्री मंत्र का जाप करने से वह फलित होगा.

गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्.

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