कौरवों और पांडवों के जन्म के पीछे की क्या है रहस्यमयी कहानी, रोचक है महाभारत कथा का यह अंश
कौरवों का जन्म भी साधारण नहीं था. गांधारी ने एक बार सौ पुत्रों की कामना की थी और इसके लिए उन्होंने गर्भधारण किया. लेकिन दो साल तक उनका गर्भ नहीं फूटा. अंत में वेदव्यास ने उसे सौ टुकड़ों में बांटकर सौ घड़ों में रखवाया, जिनसे सौ पुत्र और एक कन्या का जन्म हुआ. ये सभी पुत्र असाधारण रूप से बलवान थे, लेकिन उनमें दुर्योधन सबसे प्रमुख था.
धृतराष्ट्र के सौ पुत्र कौन कौन थे?
दुर्योधन, युयुत्सु, दुःशासन, दुःसह, दु:शल, दुर्मुख, विविंशति, विकर्ण, जलसंध, सुलोचन, विन्द, अनुविन्द, दुर्धर्ष, सुवाहु, दुष्प्रधर्षण, दुभर्षण, दुर्मुख, दुष्कर्ण, कर्ण, चित्र, उपचित्र, चित्राक्ष, चारू, चित्रांगद, दुर्मद, दुष्पधर्ष, विवित्सु, विकट, सम, ऊर्णनाभ, पद्यनाभ, नन्द, उपनन्द, सेनापति, सुषेण, कुण्डोदर, महोदर, चित्रवाहु, चित्रवर्मा, सुवर्मा, दुर्विरोचन, अयोबाहु, महाबाहु, चित्रचाक, सुकुण्डल, भीमवेग, भीमबल, बलाकी, भीम , विक्रम, उग्रायुध,भीमसर, कनकायु, धड़ायुध, दृढवर्मा, दृढक्षत्र, सोमकीर्ति, अनुदर, जरासंध, दृढसंध, सत्यसंध, सहस्त्रवाक, उग्रश्रवा, उग्रसेन, क्षेममूर्ति, अपराजित, पण्डितक, विशालाक्ष, दुराधन, दृढहस्थ, सुहस्थ, वातवेग, सुवर्चा, आदित्यकेतु, बहाशी, नागदत्त, अनुयायी, कबची, निसंगी, दण्डी, दण्डधार, धर्नुग्रह, उग्र, भीमरथ, वीर, वीरबाहु, अलोलोप, अभय, रौद्रकर्मा, दृढरथ, अनाधृष्य, कुण्डभेदी, विरावी, दीर्घलोचन, दीर्घबाहु, महाबाहु, व्यूढोरू, कनकांगद, कुण्डज, चित्रक.


