आज सर्वार्थ सिद्धि योग में सावन पुत्रदा एकादशी, ​विष्णु पूजा में सुनें यह कथा, मिलेगा संतान सुख

आज सर्वार्थ सिद्धि योग में सावन पुत्रदा एकादशी, ​विष्णु पूजा में सुनें यह कथा, मिलेगा संतान सुख

सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 5 अगस्त मंगलवार को है. सावन पुत्रदा एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग 05:50 ए एम से 07:36 ए एम तक है. इस समय में रवि योग भी बनेगा. जो लोग सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत कथा सुनते हैं, उनको श्रीहरि की कृपा से संतान सुख मिलता है. उसे पुत्र की प्राप्ति होती है. पूजा के समय सावन पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए, इससे व्रत पूरा होता है और इसका महत्व पता चलता है. आइए जानते हैं सावन पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा.

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

एक दिन युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि आप सावन शुक्ल एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में बताएं. तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि सावन शुक्ल एकादशी को सावन पुत्रदा एकादशी कहते हैं. यह व्रत संतानहीनों को पुत्र सुख प्रदान करने वाला है. जो लोग केवल सावन पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा सुनते हैं, उनको वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है. अब सावन पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनो.

काफी समय पहले की बात है. राजा महीजित का महिष्मति नगर पर शासन था. उसने काफी समय तक महिष्मति नगर पर शासन किया. वह अपनी प्रजा का पूरा ध्यान रखता था, लेकिन वह और उसकी पत्नी काफी दुखी रहते थे क्योंकि वे संतानहीन थे. राजा को पुत्र की चाह थी. वह कहता था कि जिसका बेटा नहीं है, उसके लिए स्वर्ग और पृथ्वी दोनों ही कष्ट देने वाले हैं. उसे कहीं भी सुख की प्राप्ति नहीं होती है.

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा महीजित ने कई उपाय भी किए थे, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. एक दिन वह काफी दुखी था. उसने राज दरबार में सभा लगाई और लोगों से अपने संतानहीन होने की पीड़ा सुनाई. उसने कहा कि वह हमेशा दान, पुण्य, धर्म के काम करता है, प्रजा की सेवा करता है, लोगों के सुख और दुख में काम आता है. सभी को सुखी देखना चाहता है. इतना करने के बाद भी जीवन में कष्ट ही है. आज तक उसे कोई पुत्र प्राप्त नहीं हुआ. आप सभी बताएं कि ऐसा क्यों है? उसे आज तक पुत्र क्यों नहीं हुआ?

उस दिन की सभा में राजा महीजित की बातों को सुनकर मंत्री और प्रजा भी दुखी थे. मंत्री और प्रजा के लोग जंगल में गए, वहां ऋषि और मुनियों से मुलाकात करके राजा के दुख को बताया. पुत्र प्राप्ति के लिए उपाय पूछे. ऐसे ही एक दिन वे लोमश ऋषि के पास गए. उन्होंने लोमश ऋषि से भी राजा के दुख का कारण और उपाय जानना चाहा.

लोमश ऋषि तपस्वी थे. उन्होंने अपने तप के बल पर जान लिया कि पिछले जन्म में राजा ने धन प्राप्ति के लिए कई बुरे कर्म किए. पूर्वजन्म में राजा एक निर्धन वैश्य था. एक दिन वह भूख प्यास से परेशान होकर तलाब किनारे पहुंचा, जहां एक गाय पानी पी रही थी. तब उसने गाय को वहां से भगा दिया और स्वयं पानी पीने लगा. उस पाप कर्म का फल उसे इस जन्म में भोगना पड़ रहा है. इस वज​ह से उसे पुत्र सुख नहीं मिला.

लोमश ऋषि ने कहा कि इसका एकमात्र उपाय है सावन पुत्रदा एकादशी व्रत. सावन शुक्ल एकादशी के दिन राजा को विधि विधान से व्रत और पूजा करनी चाहिए. विष्णु कृपा से वह पाप मुक्त हो जाएगा और उसे उत्तम संतान की प्राप्ति होगी. सभी लोग लोमश ऋषि के उपाय से खुश हो गए. उनसे आशीर्वाद लेकर नगर वापस आ गए.

सावन शुक्ल एकादशी को मंत्री और प्रजा ने मिलकर सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा. विष्णु पूजा के बाद रात्रि जागरण किया. अगले दिन सुबह स्नान, दान के बाद पारण करके व्रत को पूरा किया. उन्होंने उस व्रत के पुण्य को अपने राजा महीजित को दान कर दिया. उस पुण्य के प्रभाव से राजा महीजित पाप मुक्त हो गए. रानी गर्भवती हुईं और समय आने पर उन्होंने सुंदर से बालक को जन्म दिया. इस प्रकार से राजा महीजित को पुत्र सुख की प्राप्ति हुई.

जो व्यक्ति विधि विधान से सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है, उसे भी राजा के समान पुत्र की प्राप्ति होती है. विष्णु कृपा से उसे पाप मिट जाते हैं. जीवन के अंत में उसे मोक्ष मिल जाता है.

Source link

Previous post

सिर्फ फीलिंग्स नहीं, वास्तु भी निभाता है बड़ा रोल – रिश्तों को बचाने वाली दिशा का रहस्य, वास्तु की इन गलतियों को तुरंत करें ठीक

Next post

तनाव, विवाद…मिथुन राशि वालों के लिए संकट से भरा रहेगा आज का दिन, करें ये उपाय

You May Have Missed